1943 में पहली बार गढ़वाल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर के सुझाव पर गोचर मेले को शुरू किया गया था।
चमोली। विश्व प्रसिद्ध सात दिवसीय 71वें राजकीय औद्यौगिक विकास एवं सांस्कृतिक गौचर मेले का आज से आगाज हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मेले का विधिवत शुभारम्भ किया।
पडित जवाहर लाल नेहरू को सीएम ने किया याद
मुख्यमंत्री ने सबसे पहले भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पडित जवाहर लाल नेहरू के चित्र पर माल्यार्पण कर उनको याद किया। जिसके बाद जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गौचर मेला उत्तराखंड की विशिष्ट एवं बहुआयामी संस्कृति को प्रदर्शित करता है। मेले हमारी लोक संस्कृति और सामाजिक सरोकार को बनाए रखने के आधार हैं। हमें अपने पूर्वजों से विरासत में मिले लोकपर्व की इस परंपरा को अगली पीढ़ियों तक बढ़ाने की जरूरत है।
14 से 20 नवंबर तक चलेगा मेला
सात दिवसीय गौचर मेले में उच्च स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जायेगा। मेले में कई स्थानीय उत्पादों के स्टॉल लगाए गए हैं। वहीं मेले में प्रवेश व निकासी द्वार, वाहन पार्किंग, विद्युत, पेयजल, साफ सफाई तथा सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौंबध किया गया है। जिससे लोगों को परेशानियों का सामना ना करना पड़े।
1943 में पहली बार शुरू हुआ गौचर मेला
गौचर मेला अपने ऐतिहासिक व्यापार मेले के रूप में जाना जाता है। गढ़वाल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर के सुझाव पर नवंबर, 1943 में पहली बार गौचर में व्यापारिक मेले का आयोजन शुरू हुआ । जिसके बाद में धीरे-धीरे इसने औद्योगिक विकास मेले एवं सांस्कृतिक मेले का रूप धारण कर लिया। यह मेला संस्कृति, बाजार तथा उद्योग तीनों के समन्वय के कारण उत्तराखंड व विश्व में प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय है।
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इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा, कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल, थराली विधायक भूपाल राम टम्टा, विधायक भरत चौधरी आदि मौजूद रहे।