अब पहाड़ी कल्चर में मकान बनाने पर मिलेगी ये अनुमति

पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि भूमि पर बना सकेंगे ईको रिजॉर्ट

पर्यटन की नई संभावनाएं की जाएंगी विकसित

युवाओं के लिए रोजगार के खुलेंगे दरवाजे

स्थानीय कलाकारों के हस्तशिल्प को मिलेगा बढ़ावा

पहाड़ी संस्कृति में मकान बनाने पर मिलेगी एक अतिरिक्त मंजिल बनाने की अनुमति

एमडीडीए की बोर्ड बैठक में लिया गया निर्णय

अब दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि भूमि पर ईको रिजॉर्ट बना सकेंगे। इन ईको रिजॉर्ट के निर्माण को तय शर्तों के साथ मंजूरी देने का निर्णय मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण यानि एमडीडीए की बोर्ड बैठक में लिया गया। प्राधिकरण के इस फैसले से पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन की नई संभावनाओं को विकसित किया जा सकेगा।

युवाओं को रोजगार के मिलेंगे अवसर

ग्रीन बिल्डिंग, सामुदायिक केंद्र, योगा सेंटर व प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र ईको रिजॉर्ट की खासियत होंगे। यह रिजॉर्ट योगा, पंचकर्म, आयुर्वेद के जरिए उपचार की सुविधा उपलब्ध कराएंगे।  वहीं इससे क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के दरवाजे भी खुलेंगे। ईको रिजॉर्ट के जरिये स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा।

स्थानीय कलाकारों के हस्तशिल्प को मिलेगा बढ़ावा

बोर्ड बैठक में बताया गया कि ईको रिजॉर्ट पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बेहद खास होंगे। इसमें 75 फीसदी ग्रीन एरिया होगा,जबकि कंक्रीट का मामूली प्रयोग होगा। ऊर्जा की जरूरत पूरी तरह सौर ऊर्जा पर निर्भर रहेगी। इसके लिए रिजॉर्ट के चारों ओर सोलर पावर फेंसिंग लगेंगी। स्थानीय कलाकारों के हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए उन्हें मंच प्रदान किया जाएगा। रिजॉर्ट सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर खास फोकस करेंगे।

वास्तुकला, कलाकृति, शिल्प से तैयार होगा खास डिजाइन

एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने बताया कि बोर्ड बैठक में फसाड नीति को भी कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी गई है। इसके तहत शहर में मुख्य मार्गों पर फसाड का कार्य किया जाएगा। प्राधिकरण ने इसके लिए वास्तुकला, कलाकृति एवं शिल्प के समावेश से खास डिजाइन भी तैयार किए हैं। यह ऐसे पहाड़ी डिजाइन हैं, जिनका प्रयोग भवन स्वामी कर सकेंगे।

पहाड़ी संस्कृति में मकान बनाने पर मिलेगी एक अतिरिक्त मंजिल बनाने की अनुमति

बता दें कि इन डिजाइनों का प्रयोग कर शहर में बनने वाले नए मकानों को पूरी तरह से पहाड़ी कल्चर में रंगा जाएगा। मार्गों पर बने भवनों में भूतल से लेकर ऊपरी तलों तक फसाड के तहत कार्य होगा। ढालू छतों से लेकर खिड़की, दरवाजे, रोशनदान आदि पहाड़ी कल्चर में बना सकेंगे। पहाड़ी डिजाइन में मकान बनाने वालों को एमडीडीए की ओर से एक अतिरिक्त मंजिल बनाने की अनुमति दी जाएगी।