रिपोर्ट- सोनू उनियाल
चमोली जिले में वंशीनारायण का मंदिर स्थित है। हिमालय की वादियों में विराजमान 12000 फीट की ऊंचाई पर उर्गम घाटी से लगभग 12 किमी की पैदल यात्रा कर वंशीनारायण पहुंचा जाता है। जहां केवल साल भर में एक ही दिन पूजा होती है। नाम से तो लगता है कि कृष्ण का मन्दिर होगा पर यहां भगवान विष्णु चर्तुभुज रूप में जलेरी में विराजमान है साथ ही गणेश तथा वनदेवियों की मूर्ति भी है।
क्यों पड़ा वंशीनारायण
भगवान शिव व विष्णु का यह अनोखा मन्दिर है। वंशीनारायण नाम क्यों पड़ा, यह इतिहास के गर्भ में ही है, हो सकता है कि वनदेवियां शिव व विष्णु की संयुक्त रूप से होने के कारण वंशीनारायण पड़ा हो, कत्युरी शैली में बना मन्दिर सुन्दर पत्थरों को तराश कर बनाया गया है।
क्यों होती है रक्षाबंधन के दिन पूजा अर्चना
लोक कथाओं के अनुसार पाण्डव इस मन्दिर को इतना बड़ा बनाना चाहते थे कि जहां से बदरी केदार की एक साथ पूजा हो सके किन्तु निर्माण कार्य रात्रि में ही सम्पन होना था। देवयोग से यह पूरा नही हो पाया। आज भी भीम द्वारा लाये गये विशाल शिलाखण्ड यहां मौजूद हैं। लोकगाथाओं के अनुसार जब वामन अवतार नारायण ने राजा बलि के वचन के अनुसार धरती आकाश नाप लिया तो राजा बलि ने तीसरा पंग अपने सर पर रखने के लिए वामन भगवान से कहा तो पग रखते ही वामन भगवान नारायण राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गये और बलि के दरबार में द्वारपाल बन गये इधर नारायण को न पाकर लक्ष्मी परेशान हो गयी तो नारद जी के पास गयी नारद ने भगवान नारायण को पाताल लोक में बलि के दरबार में द्वारपाल होने की बात कही। लक्ष्मी ने नारद से पाताल लोक जाने का अनुरोध किया । नारद लक्ष्मी के साथ पाताल लोक में चले गये देवी लक्ष्मी ने रक्षाबंधन के दिन राजा बलि को रक्षासूत्र बांधा बलि ने देवी लक्ष्मी को वरदान मांगने के लिए कहा तो लक्ष्मी ने पति मांगा जो राजा बलि के दरबार में द्वारपाल बने थे राजा बलि ने देवी लक्ष्मी के पति को मुक्त कर दिया। इस दिन वंशीनारण नारायण की पूजा अर्चना मनुष्यों द्वारा की गयी इसलिए इस दिन वर्षभर में रक्षाबंधन के दिन ही पूजा अर्चना कलगोठ के जाख देवता के पुजारी द्वारा की जाती है भगवान को मक्खन सत्तू बाड़ी का भोग लगता है।
क्या कहते हैं पुराण
बामन पुराण के चौरासी अध्याय में वर्णन है अपसरौभि: परिवृत: श्रीमान प्रश्रवणाकुल: गंधर्वे : किन्नरे यक्षे : सिद्ध चारणपन्नगें : विद्याधरे: सप्तरीको संयतेष्टे: तपस्वी: अर्थात अपसराओं से घिरा गिरते झरनों वाले गन्धर्वोंं किन्नरों यक्षों सिद्ध चारण विद्या आदि तपस्या करने के लिए भगवान वंशी नारायण का स्थान ही एकमात्र सिद्ध तपस्थली है। यह स्थान उर्गम घाटी एवं पंचगैं की लोकजात यात्रा का प्रथम पड़ाव भी है यहां से दो किमी पर छोटा नन्दीकुण्ड व स्वनूल कुण्ड भी है।
मन्दिर में कलगोठ के ग्रामीण पुजारी
वंशीनारायण मन्दिर में कलगोठ के ग्रामीण पुजारी होते है जहां भगवान को सत्तू बाडी का भोग लगाया जाता है। भले ही उत्तराखण्ड पर्यटन विभाग की बेरूखी का शिकार हो पर कुदरत ने यहां अनुपम छटा बिखेरी है उर्गमघाटी से यहां तक के रास्ते की स्थिति दयनीय है जरूरत है कि नन्दा देवी राष्ट्रीय पार्क को यहां तक रास्ता बनाने की तो पर्यटकों की संख्या बढ़ सकती है यह मार्ग उर्गमघाटी की हर वर्ष लोकजात का मार्ग भी है। बुनियादी सुविधायें रहने के स्थान की कमी है। वंशीनारायण में केवल कुदरत की गुफायें ही है वंशी नारायण में रक्षाबन्धन के अवसर पर हर साल मेला लगता है कलगोठ गांव के वासियों द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता हैं। भगवान वजीर देवता डुमक की छडी निशान हर तीसरे वर्ष इस क्षेत्र के पास छोटा नन्दी स्वनूल कुंड में पूजा अर्चना करते है।
कैसे पहुंचें वंशीनारायण
ऋषिकेश से चमोली एवं चमोली बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग से उर्गम घाटी के ग्राम पंचायत देवग्राम पहुंचकर कल्पेश्वर उर्वाऋषि महादेव बांसा या देवग्राम गीरा बडोई होते हुये मुव्वा बुग्याल में भगवती जगदी के दर्शन कर कोड़मूला बैरजिक नागचुना, होते हुए देवदर्शनी को पार करके वंशीनारायण नारायण पहुंच जाता है। देवग्राम से 10 से 12 किलोमीटर का रास्ता पार करके यहां पहुंचा जा सकता है। दूसरा रास्ता हेलंग उर्गम मोटर मार्ग पर ल्यांरी पल्ला जखोला किमाणा कलगोठ उच्छोंग्वाड होते हुये वंशीनारायण नारायण पहुंचा जा सकता है जो लगभग 16 किलोमीटर की लगभग है। जिसमें 10 किलोमीटर वाहन से एवं 6 किलोमीटर पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। वर्तमान समय में सड़क निर्माणाधीन है बरसात में सड़क की स्थिति ठीक नहीं है।
वंशीनारायण यात्रा के लिए कहां ठहरें
आप वंशीनारायण यात्रा कल्पेश्वर महादेव दर्शन के उपरांत ग्राम पंचायत देवग्राम के होमस्टे में ठहर सकते हैं यहां नन्दीकुड ट्रैकिंग एण्ड एडवेंचर्स ग्रुप देवग्राम ट्रैकिंग से सम्बन्धित सारे सामान गाइड़ पोटर उपलब्ध करवाता है जिसके लिए आप 9412964230 9761566252 पर सम्पर्क कर सकते हैं क्योंकि वंशीनारायण मंदिर में रहने की व्यवस्था स्वयं करनी पड़ती है