मंदिर हो या दरगाह…हटना ही होगा सड़कों से अवैध अतिक्रमण, बुलडोजर एक्‍शन पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

bulldozer action: न्यायमूर्ति गवई ने सुनवाई के दौरान कहा, “चाहे वह मंदिर हो, दरगाह हो, उसे जाना ही होगा…जनता की सेफ्टी सबसे अहम है।


SC on bulldozer action: यूपी समेत तमाम राज्यों में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है और सड़क, जल निकायों या रेल पटरियों पर अतिक्रमण करने वाले किसी भी धार्मिक ढांचे को हटाया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी शख्स आरोपी या दोषी है यह डेमोलेशन का आधार नहीं हो सकता है। देश भर के लिए इस मामले में गाइडलाइंस जारी होगा। कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुरक्षित रखा। फैसला सुनाए जाने तक बुलडोजर एक्शन पर रोक जारी रहेगी।

भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है: SC

कोर्ट (Bulldozer action) ने ये भी कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और बुलडोजर कार्रवाई और अतिक्रमण विरोधी अभियान के लिए उसके निर्देश सभी नागरिकों के लिए होंगे, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ अपराध के आरोपी लोगों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। कई राज्यों में प्रचलित इस प्रवृत्ति को अक्सर ‘बुलडोजर न्याय’ कहा जाता है। राज्य के अधिकारियों ने अतीत में कहा है कि ऐसे मामलों में केवल अवैध संरचनाओं को ही ध्वस्त किया जाता है।

जज और सॉलिसिटर जनरल के सवाल-जवाब

  • सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश की ओर से पेश हुए। कोर्ट ने पूछा कि क्या आपराधिक मामले में आरोपी होना बुलडोजर कार्रवाई का सामना करने का आधार हो सकता है। इस पर मेहता ने जवाब देते हुए कहा कि बिल्कुल नहीं, बलात्कार या आतंकवाद जैसे जघन्य अपराधों के लिए भी नहीं।
  • तुषार मेहता ने कहा कि जैसे न्यायाधीश ने कहा कि यह भी नहीं हो सकता कि जारी किया गया नोटिस एक दिन पहले ही अटका रहे, यह पहले से ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकांश नगरपालिका कानूनों में नोटिस जारी करने का प्रावधान है।
  • इस पर पीठ ने कहा कि नगर निगमों और पंचायतों के लिए अलग-अलग कानून हैं। “एक ऑनलाइन पोर्टल भी होना चाहिए ताकि लोग जागरूक हों, एक बार जब आप इसे डिजिटल कर देंगे तो रिकॉर्ड होगा।”
  • सॉलिसिटर जनरल ने तब कहा कि उन्हें चिंता है कि अदालत कुछ उदाहरणों के आधार पर निर्देश जारी कर रही है जिसमें आरोप लगाया गया है कि एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।
  • न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “अनधिकृत निर्माण के लिए एक कानून होना चाहिए, यह धर्म या आस्था या विश्वास पर निर्भर नहीं है।”

अगर तोड़फोड़ अवैध पाई गई तो संपत्ति वापस करनी होगी

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन अदालत की अवमानना माना जाएगा। अगर तोड़फोड़ अवैध पाई गई तो संपत्ति को वापस करना होगा।