नई दिल्ली: भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस की स्थिति दिनों-दिन खराब होती जा रही है। चुनाव दर चुनाव उसे हार का सामना करना पड़ रहा है, और अब तो चंदा भी नहीं मिल पा रहा है। देश की सबसे पुरानी पार्टी की हालत इतनी बदतर हो गई है कि अब वह रीजनल पार्टी बीआरएस से भी पीछे रह गई है। आश्चर्य की बात यह है कि बीआरएस, जिसके पास न तो कोई सरकार है और न ही सांसद, फिर भी उसे झोलीभर चंदा मिल रहा है, जबकि कांग्रेस की स्थिति और भी चिंताजनक है।
चंदा की स्थिति
साल 2023-24 में कांग्रेस को बीआरएस से भी कम चंदा मिला है। जहां भाजपा को विभिन्न स्रोतों से 2244 करोड़ रुपये का चंदा मिला, वहीं कांग्रेस को केवल 288.9 करोड़ रुपये ही मिले। इस बीच, बीआरएस ने लगभग 580 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया है, जो कांग्रेस से कहीं अधिक है। यह स्थिति कांग्रेस के लिए चिंताजनक है, क्योंकि वह देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी है।
चुनावी परिदृश्य
भाजपा के उदय के बाद से कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ा है। इस हार का सीधा असर उसके चंदे पर पड़ा है। कांग्रेस को बीआरएस से कम चंदा मिलने की बात और भी चौंकाने वाली है, क्योंकि बीआरएस एक क्षेत्रीय पार्टी है जबकि कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी माना जाता है।
चंदे का ब्योरा
चंदा प्राप्त करने में विभिन्न राजनीतिक दलों की स्थिति इस प्रकार है:
- भाजपा: 2244 करोड़ रुपये
- बीआरएस: 580 करोड़ रुपये
- कांग्रेस: 288.9 करोड़ रुपये
- डीएमके: 60 करोड़ रुपये
- वाईएसआर कांग्रेस: 121 करोड़ रुपये
- जेएमएम: 11.5 करोड़ रुपये
- टीडीपी: 33 करोड़ रुपये
कांग्रेस के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि वह बीआरएस जैसे क्षेत्रीय दल से भी पीछे है। इसकी स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि भाजपा के आने के बाद कांग्रेस को न केवल चुनावी हार का सामना करना पड़ा है, बल्कि अब चंदा जुटाने में भी उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। क्या कांग्रेस इस स्थिति से उबर पाएगी? यह आने वाला समय बताएगा।