Mann ki Baat: पोलियों ने पैरों की ताकत छीनी, पर हौंसले को नहीं…PM मोदी ने की हल्द्वानी के जीवन चंद्र जोशी की ‘बगेट’ की दिल खोलकर तारीफ 

Mann ki Baat:पोलियो से पीड़ित जीवन चीड़ की छाल से कलाकृतियाँ बनाते हैं जिन्हें लोग बेकार समझते हैं। मोदी ने कहा कि जीवन ने दिखा दिया कि नेक इरादे से नामुमकिन भी मुमकिन है। उनकी कला में उत्तराखंड की मिट्टी की खुशबू है और वह एक साधना है।


रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के 122 वें एपिसोड को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने हल्द्वानी के दिव्यांग जीवन चंद्र जोशी की ‘बगेट’ कला और जज्बे की जमकर सराहना की।

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वहीं नई दिल्ली में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पीएम मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को सुना। सीएम धामी ने कहा कि जीवन जोशी जी ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपनी विलक्षण कला ‘बगेट’ के माध्यम से जो मिसाल पेश की है, वह प्रेरणा का अमिट स्रोत है। चीड़ की सूखी छाल से उत्तराखंड की आत्मा को साकार करती उनकी कलाकृतियाँ वास्तव में साधना का प्रतीक हैं। यशस्वी प्रधानमंत्री जी द्वारा किया गया यह उल्लेख हमारी कला, संस्कृति और जनशक्ति की पहचान को राष्ट्रीय मंच तक पहुँचाता है।

कटघरिया निवासी 65 वर्षीय जीवन चंद्र जोशी ने अपनी शारीरिक असमर्थता को कभी अपनी कला पर हावी नहीं होने दिया। आज वह एक ऐसी कला में माहिर हैं, जिसे न सिर्फ देश, बल्कि विदेश में भी सराहा जा रहा है। जोशी पोलियो से पीड़ित हैं। बचपन से ही चलने-फिरने में दिक्कत रही है, लेकिन अपने हौसले की ऊंची उड़ान के बदौलत आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं। उन्होंने लकड़ी और छाल से जुड़ी कला अपने पिता से सीखी। घर से बाहर न जा पाने की मजबूरी ने उन्हें घर के भीतर ही एक अलग दुनिया की खोज करने पर मजबूर किया। इस सफर ने उन्हें एक मास्टर क्राफ्ट्समैन बना दिया।

जोशी भारत के पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें चीड़ के बगेट यानी चीड़ के पेड़ की सूखी छाल पर काम करने के लिए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा सीनियर फेलोशिप से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा जीवन लखनऊ कोलकाता, भोपाल, अहमदाबाद में इंटर इंटरनेशनल साइंस फेस्टिबल में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। लखनऊ में उन्हें बेस्ट अपकमिंग आर्टिस्ट का अवार्ड मिला।

यह उपलब्धि न केवल उनकी कला को मान्यता देती है, बल्कि एक मिसाल भी कायम करती है कि सच्ची मेहनत और लगन का कोई विकल्प नहीं होता।