Congress: सरकार की लापरवाही नागरिक उड्डयन अधिकारियों की मिलीभगत से हो रही है केदारनाथ क्षेत्र में हेली दुर्घटनाएं, स्थानीय लोगों की भी जान खतरे में – चमोली

उत्तराखंड में हेली सेवाओं की दुर्घटनाएं एक गंभीर समस्या बन गई हैं। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता और एडवोकेट संदीप चमोली ने इन दुर्घटनाओं के पीछे हेली कंपनियों की लापरवाही और अधिकारियों की मिलीभगत का बड़ा हाथ बताया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की अनदेखी और लचर व्यवस्था के कारण ये दुर्घटनाएं हो रही हैं। निरंतर स्थानीय लोगों की जान पर खतरा बना हुआ है। निरंतर स्थानीय लोगों की जान पर खतरा बना हुआ है।  आज की दुर्घटना से भी स्थानीय लोग बाल बाल बचे हैं ।

उन्होंने कहा कि कंपनियों की जांच की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों पर है पिछली घटनाओं पर अब तक सरकार द्वारा उन पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है।  कंपनियों को गुणवत्ता चेक किए बिना ही कुकुरमुत्तों की तरह केदारनाथ क्षेत्र में हेली सेवाओं के लाइसेंस दिए जा रहे हैं। सरकार द्वारा अब तक जितनी कंपनियों को लाइसेंस दिए गए हैं उन कंपनियों की जाँच करनी आवश्यक है निरन्तर हेली सेवाएँ अपने मुनाफे के लिए आम जन मानस की जान को खतरे में डाल रहे हैं एवं लगातार दुर्घटनाएं होने के कारण पूरे भारतवर्ष में उत्तराखंड की छवि भी खराब हो रही है। परन्तु सरकार लगातार हो रही घटनाओं से सबक नहीं ले रहे हैं।

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यही कारण है कि अधिक मुनाफे के चक्कर में हेली कम्पनियाँ लोगों की जान। लेने का काम कर रही है। हेली कंपनियां अपनी मनमानी से उड़ानें भर रही हैं और सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर रही हैं। इन कंपनियों को केवल मुनाफा कमाने से मतलब है, न कि यात्रियों की सुरक्षा से अधिकारियों की मिलीभगत सरकारी अधिकारी हेली कंपनियों की लापरवाही पर आंखें बंद किए हुए हैं। वे इन कंपनियों को संरक्षण दे रहे हैं और सुरक्षा मानकों की अनदेखी करने की अनुमति दे रहे हैं।

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सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हेली सेवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे। लेकिन सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है और हेली कंपनियों की मनमानी को बढ़ावा दे रही है।

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उत्तराखंड में लगातार हो रही हेली दुर्घटनाएं को सरकार द्वारा गंभीरता से लेना होगा सरकार को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और हेली सेवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। हेली कंपनियों की लापरवाही और अधिकारियों की मिलीभगत को रोकना होगा ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।