Tehri: नरेंद्रनगर में कुंजापुरी मेले की सातवीं सांस्कृतिक संध्या गढ़वाल के लोकप्रिय बैंड पांडवाज़ के नाम रही। पांडवाज़ के कलाकारों ने उत्तराखंड की लोक संस्कृति, प्रकृति और अद्भुत जीवन शैली को अपनी कला प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रदर्शित कर, जहां दर्शकों का दिल जीत लिया। वही यहां की पौराणिक समृद्ध लोक संस्कृति को बचाए रखने का भी प्रस्तुतियों के माध्यम से मार्मिक संदेश दिया।
पांडवाज़ ने दिखाया कि हमारे पूर्वजों ने कितनी समृद्ध परंपराओं का निर्माण करते हुए इसे संजोए रखा। आज उन्हें विलुप्त होने से बचाए जाने की बड़ी जरूरत है। प्रस्तुतियों के माध्यम से पहाड़ से हो रहा पलायन, पारंपरिक परंपराएं, रीति- रिवाज, वेशभूषा, वीरता, प्रेम और बलिदान की अमर गाथा बन चुके जीतू बगड़वाल का चरित्र चित्रण को देख दर्शक दीर्घा चिंतन और मंथन की मुद्रा में नजर आई।पहाड़ के वाद्य यंत्रों की संगति और प्रस्तुतियों ने ऐसा समां बांधा कि दर्शक इस बार पंडाल के बाहर रामलीला मैदान में ही नहीं, बल्कि पंडाल में भी झूमते नजर आए।
यह पहला मौका था जब अपनी माटी से जुड़ी बेहतरीन परिस्थितियों को देख, पंडाल वन्स मोर की आवाज से गूंज उठा। गढ़वाल का लोक प्रिय बैंड पांडवाज ने दिखा दिया की अपनी माटी से जुड़ी सांस्कृतिक धरोहर की जड़ें कितनी समृद्ध और मजबूत हुआ करती हैं।
इस मौके पर प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल, मेला समिति के संयोजक राजेंद्र विक्रम सिंह पंवार, ब्लॉक प्रमुख निशा राणा, सिद्धार्थ राणा ने भी कार्यक्रम का आनंद लिया।
