Uttarakhand: विधानसभा का विशेष सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के विकास कार्यों का विशेष मॉडल बनाएगी सरकार

Uttarakhand: विधानसभा का विशेष सत्र बुधवार को चर्चा के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। विधानसभा कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष की मांग पर सत्र को एक दिन के लिए बढ़ाया गया था। सदन में तीसरे दिन भी राज्य की 25 वर्षों की उपलब्धियां और भविष्य के रोड मैप पर चर्चा की गई।

विशेष सत्र के तीसरे दिन सत्ता पक्ष के विधायकों ने जहां सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला तो वहीं विपक्षी विधायकों ने पूर्ववर्ती सरकारों की उपलब्धियों के साथ ही वर्तमान हालात पर चिंता भी जताई।

वहीं सत्र समापन पर संसदीय कार्यमंत्री सुबोध उनियाल ने सदन में सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि विशेष सत्र में जो वाद-विवाद हुआ, वह राज्यहित में नहीं है। हम सभी उत्तराखंड के मूल निवासी हैं। आरक्षण राज्य का मामला है। मैदान की अपेक्षा पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण कार्यों की लागत अधिक आती है। लिहाजा, दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों का विशेष निर्माण मॉडल बनाया जाएगा।

कहा कि उपनल, संविदाकर्मियों की नियमितिकरण नियमावली को लेकर दो बार कैबिनेट में चर्चा हो चुकी है लेकिन नियमितिकरण के लिए कटऑफ पर सहमति नहीं बन पाई। नियमावली का प्रस्ताव फिर कैबिनेट में लाया जाएगा। वहीं, प्रदेशभर में नजूल की भूमि पर काबिज भूमिहीनों के चिह्निकरण व मालिकाना हक को लेकर कैबिनेट उपसमिति गठित है। कहा कि यह उप समिति जल्द ही फैसला लेगी। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने संसदीय कार्यमंत्री के प्रस्ताव के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।
सरकार किसी की भी आए, रोडमैप पर चलकर होगा विकास
संसदीय कार्यमंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य में विकास हुआ या नहीं, इसके जवाबदेह और जिम्मेदार भाजपा और कांग्रेस दोनों हैं। इस विशेष सत्र का मकसद भी ऐसा रोडमैप तैयार करना है, जिससे सरकार किसी की भी हो, विकास का पहिया चलता रहे।

संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि राज्य गठन का एक जनआंदोलन था। जब केंद्र शासित प्रदेश पर सहमति बन गई थी तो वो कौन लोग थे, जिन्होंने विरोध किया। राज्य निर्माण के बाद स्व. एनडी तिवारी ने जो काम किया, उसको भुलाया नहीं जा सकता। क्या कारण था कि उनको पार्टी ने चुनाव लड़ने से रोका। राज्य में अस्थिरता लाने की जो शुरुआत हुई, उसने विकास की गति कम करने का काम किया। कहा कि देश में होने वाले अत्याचार पर संज्ञान लेना केंद्र की जिम्मेदारी है लेकिन मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहा कांड का संज्ञान उस वक्त की केंद्र सरकार ने क्यों नहीं लिया। मसूरी गोलीकांड का संज्ञान क्यों नहीं लिया। वो कौन लोग थे जिन्होंने मंच पर पथराव करके राज्य आंदोलन को तोड़ने की कोशिश की।

वहीं कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य दो ऐसे बुनियादी सवाल हैं, जो आज भी खड़े हैं। राज्य की प्रगति की बात हो रही है। हम भविष्य की संभावना को तलाश रहे हैं। 1488 विद्यालयों को बंद करने की योजना है। मेरी विधानसभा में स्कूल बंद किए जा रहें। शिक्षा के लिए आज भी बहुत दूर पैसा लगाककर हालात चिंताजनक है। पहाड़ के स्कूलों में कोई प्रिंसिपल नहीं हैं। कहा कि अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज को सरकार मॉडल कॉलेज बनाए।