Deepak Singh: उत्तराखंड के लिए एक बहुत ही दुखद खबर है। अग्निवीर दीपक सिंह जम्मू-कश्मीर के पुंछ में संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से शहीद हो गए। 23 साल के दीपक मूल रूप से चंपावत के खरही गांव के रहने वाले थे और 10 दिन पहले ही छुट्टियां खत्म कर ड्यूटी पर लौटे थे। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अग्निवीर दीपक सिंह के शहीद होने पर गहरा दुख जताया है।
मां भारती की सेवा करते हुए जम्मू-कश्मीर के पुंछ में ड्यूटी के दौरान भारतीय सेना में तैनात उत्तराखण्ड के वीर सपूत अग्निवीर दीपक सिंह जी के शहीद होने का दु:खद समाचार प्राप्त हुआ। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और शोकाकुल परिवारजनों को इस असीम दुःख…
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 23, 2025
दो साल पहले ही सेना में भर्ती हुआ था दीपक
दीपक सिंह अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में दो साल पहले अग्निवीर भर्ती हुआ था। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले की मेंढर तहसील में नियंत्रण रेखा के पास सेना की अग्रिम चौकी में तैनाती मिली थी।
संदिग्ध परिस्थितियों में लगी गोली
भारतीय सेना की 18 कुमाऊं रेजिमेंट में बतौर अग्निवीर तैनात दीपक को बीती शनिवार यानी 22 नवंबर की दोपहर करीब 2.30 बजे संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगी। चौकी पर गोली चलने की आवाज सुनते ही सेना के अन्य जवान तत्काल घटनास्थल पर पहुंचे। इसके बाद उन्होंने खून से लथपथ दीपक को बटालियन चिकित्सा शिविर में पहुंचाया। जहां सेना के डॉक्टरों ने जांच पड़ताल के बाद दीपक को मृत घोषित कर दिया।
चार भाई बहनों में तीसरे नंबर के थे दीपक
दीपक सिंह का पूरा परिवार खरही गांव में ही रहता है, घर में पिता शिवराज सिंह और तारा तारी देवी के अलावा दो बड़ी बहनें और एक छोटा भाई है। दीपक चार भाई बहनों में तीसरे नंबर के थे। बचपन से ही दीपक को सेना में भर्ती होने का जुनून था, यही कारण भी था की पढ़ाई करते करते ही वह भर्ती की तैयारी भी करते रहते थे।
शादी की तैयारी कर रहा था परिवार
ग्रामीणों ने बताया कि दीपक हाल ही में छुट्टी लेकर गांव आए थे और स्थानीय खरही मेले में भी शामिल हुए थे। परिवार वाले उनकी शादी की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अचानक आई इस खबर ने पूरे घर को सदमे में डाल दिया है।
वहीं इस घटना के बाद सेना ने मानक प्रक्रिया के तहत मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। जवान का पार्थिव शरीर सोमवार तक पैतृक गांव पहुंचने की संभावना है। हालांकि रीठासाहिब थानाध्यक्ष कमलेश भट्ट ने बताया कि पार्थिव शरीर गांव कब तक पहुंचेगा, इसकी आधिकारिक सूचना सेना की ओर से अभी प्राप्त नहीं हुई है।
