देश को आजादी दिलाने में हमारे ख्यातनाम स्वतंत्रता सेनानियों के अलावा ऐसे बहुत से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं जिनके नाम इतिहास के पन्नों से गायब हैं या फिर इनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। देश को आजादी दिलाने में रानी अब्बक्का, तिलक मांझी, पीर अली, कोतवाल धन सिंह और कुंवर सिंह जैसे वीरों ने क्या भूमिका निभाई? इन गुमनाम और ऐसे ही कई कम विख्यात स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में देश को, खासकर बच्चों को रोचक तरीके से जानकारियां देने को एक एनीमेशन सीरीज इसी रविवार से एक साथ दूरदर्शन, नेटफ्लिक्स और प्राइम वीडियो पर प्रसारित होने जा रही है।
सीरीज का ट्रेलर जारी
सीरीज का औपचारिक ट्रेलर बुधवार को सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने दिल्ली में जारी किया। ये सीरीज भारत सरकार के आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव के तहत बनाई गई है।
तीन चर्चित किरदार कृष, टृश और बाल्टीबॉय
इस सीरीज का प्रोमो यूट्यूब पर 28 जनवरी को ही रिलीज हो चुका था। ये सीरीज काल्पनिक कथाओं के तीन चर्चित किरदारों कृष, टृश और बाल्टीबॉय के जरिये मनोरंजक तरीके से आजादी के दीवानों की कहानियां बताती है।
15 अक्टूबर को दूरदर्शन, प्राइम वीडियो और नेटफ्लिक्स पर
‘भारत हैं हम’ नामक इस सीरीज के पहले सीजन में 26 एपीसोड हैं और इसका प्रीमियर 15 अक्टूबर को एक साथ दूरदर्शन, प्राइम वीडियो और नेटफ्लिक्स पर 12 भारतीय और सात अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में किया जाएगा।
‘भारत हैं हम’ एक एनीमेशन सीरीज
एनीमेशन एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिये हम स्वर्णिम गाथाओं को परदे पर सजीव रूप में दिखा सकते हैं और इसके जरिये हम देश के करोड़ों बच्चों तक पहुंच सकते हैं। किताबी ज्ञान से इतर इस प्रयास के जरिये ये कहानियां अरसे तक लोगों के साथ बनी रह सकती हैं और इन्हें किसी भी उम्र के दर्शक देख सकते हैं।
बच्चों और युवाओं को गौरवशाली अतीत बताना
सीरीज के रचयिता मुंजाल श्रॉफ और तिलक शेट्टी अपनी सीरीज ‘भारत हैं हम’ के बारे में जानकारी देते हुए बताते हैं कि उनका उद्देश्य इस सीरीज के जरिये बच्चों और युवाओं को देश के गौरवशाली अतीत के बारे में बताना रहा है।
आने वाली पीढ़ियों को मिलेगी प्रेरणा
अनुराग ठाकुर बताते हैं, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल आजादी का अमृत महोत्सव देश की आजादी में योगदान करने वालों का स्मरण करने और उनकी याद को पुनर्जीवित करने का अभियान है। हमने देश के चंद नायकों का ही अब तक गुणगान किया है। और, ऐसे तमाम अनगिनत स्वतंत्रता सेनानी हैं जिनको इतिहास में उनका उचित स्थान ही नहीं मिला। इनमे से करीब तीस फीसदी योद्धा महिलाएं हैं। ‘भारत हैं हम’ की कहानियां आने वाली पीढ़ियों के प्रेरणास्रोत का काम करेंगी।’