गढ़वाली सुपरहिट फिल्म ‘घरजवें’ के अभिनेता बलराज नेगी को यंग उत्तराखंड सिने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया है। साथ ही पद्मश्री लोकगायिका माधुरी बड़थ्वाल को गोपाल बाबू गोस्वामी लीजेंडरी सिंगर अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उत्तराखंड की फिल्मों, लघु फिल्मों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कलाकारों, गायकों और संगीतकारों को भी अवार्ड से नवाजा गया।
बता दें कि 30 सितम्बर को दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू ऑडिटोरियम में यंग उत्तराखंड सिने अवार्ड्स 2023 कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमें 2022 में उत्तराखंड के क्षेत्रीय सिनेमा संगीत में उत्कृष्ट योगदान देने वाले उत्तराखंडी कलाकारों को यंग उत्तराखंड सिने अवार्ड्स से सम्मानित किया गया।
बलराज नेगी का जीवन परिचय
गढ़वाली फिल्मों के जाने माने अभिनेता और रंगकर्मी बलराज नेगी का जन्म 30 जून 1960 को चमोली जिले के भगवती (नारायणबगड़) गांव के इन्द्र सिंह नेगी व धर्मा देवी के घर में हुआ था। बलराज की आरंभिक शिक्षा नारायणबगड़ में हुई फिर डीएवी कालेज देहरादून से पढ़ने के बाद उन्होंने दिल्ली से स्तानक किया। 1992 में उनकी शादी पौड़ी गढ़वाल की सरिता बिष्ट से हुई। उनके दो पुत्र हैं।
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लोक नृत्य में किया डिप्लोमा
दिल्ली में पढ़ाई के दौरान बलराज का रुझान नाटकों की ओर होने लगा और उन्होंने इसी क्षेत्र में कुछ करने का मन बना लिया। फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान पुणे के पूर्व प्रिंसिपल गजानन जागीरदार के मार्गदर्शन में उन्हें फिल्म एवं अभिनय का प्रशिक्षण पाने का अवसर मिला। भारतखंडे संगीत विद्यापीठ लखनऊ से उन्होंने लोक नृत्य में सीनियर डिप्लोमा प्राप्त किया था।
गढ़वाली हिंदी नाटकों में अभिनय और निर्देशन
बलराज ने 20 से अधिक पूर्णकालिक नाटकों को अपने अभिनय, नृत्य निर्देशन एवं निर्देशन में प्रस्तुत कर रंगमंच को समृद्ध करने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया । इनमें कैमु न बोल्या (1984) कै कैमु बोल्या (1985) सत्यवान सावित्री (गीत नाटिका, 1986) जीतू बगड़वाल (नृत्य नाटिका, 1986) कैमु बोल्या (1987) बसंत फ्यूंली (1988) पुत्रदान (हिंदी नाटक, 1990) में मुख्य भूमिका निभाने के साथ ही इनका निर्देशन भी किया था। जीतू बगड्वाल का अखिल गढ़वाल सभा सहारनपुर के तत्वाधान में सन 1990 में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में मंचन किया गया था। बटोही (1990) पापी पराण (1989) पर्यावरण पर केंद्रित कुल्हाड़ी में आपने मुख्य भूमिका निभाई साथ ही ब्वारी हो त यनी (1989) को आपने निर्देशित किया था।
सांस्कृतिक सामाजिक संस्था की स्थापना
1991 में मुंबई से देहरादून आकर बलराज नेगी ने नंदा देवी कला संगम (सांस्कृतिक सामाजिक संस्था) की स्थापना की और इसके माध्यम से गढ़वाल की समृद्ध संस्कृति एवं कला के प्रचार प्रसार के लिए अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। भारतखंडे हिंदुस्तानी संगीत विद्यालय लखनऊ एवं देहरादून के लिए मुरादाबाद व देहरादून में लोकगीतों की प्रस्तुति उनकी उपलब्धियों में शामिल है।
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बलवीर सिंह नेगी से बने बलराज नेगी
गढ़वाली व हिंदी नाटकों में अभिनय और निर्देशन के बाद बलराज नेगी का रूख हिंदी फिल्मों की ओर भी हुआ। बहुत कम लोग जानते हैं कि बलराज नेगी का असली नाम बलवीर सिंह नेगी है लेकिन सिनेमा की बड़ी दुनिया में आने के लिए लोगों ने आपको अपना नाम बदलने और छोटा करने की सलाह दी। इस तरह बलबीर सिंह नेगी सिनेमा व रंगमंच की दुनिया के लिए बलराज नेगी हो गए।
राजेश खन्ना से रहे बेहद प्रभावित
हिंदी के सुपरस्टार राजेश खन्ना से बेहद प्रभावित रहे बलराज नेगी के दूसरे पसंदीदा कलाकार जितेंद्र, दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन रहे हैं। मुंबई में रहते हुए उन्होंने बासु चटर्जी की फिल्म लाखों की बात में संजीव कुमार के साथ दर्जी की छोटी सी भूमिका अभिनीत की थी। जिंदगी एक ख्वाब फिल्म में वे नसीरुद्दीन शाह व जयाप्रदा के साथ रोमांटिक लीड रोल में थे लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म रिलीज नहीं हो सकी। हिंदी के अलावा ज्ञान कुमार की भोजपुरी फिल्म सांची प्रीतिया की डोर में उन्होंने मृणाल विमर्श मीरा माधुरी के साथ सह नायक की भूमिका निभाई थी।
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दूरदर्शन धारावाहिक में भी किया काम
हिंदी फिल्मों में अभिनय के साथ ही बलराज नेगी ने दयाल निहलानी द्वारा निर्देशित मंजू सिंह के दूरदर्शन धारावाहिक एक कहानी-सोना (विद्यासागर नौटियाल) तथा अधिकार में मुख्य भूमिका निभाई थी। दूरदर्शन के लिए ही उन्होंने जीत सिंह नेगी द्वारा लिखित एवं वीर सिंह ठाकुर द्वारा निर्मित ऐतिहासिक टेलीफिल्म मलेथा की कूल का भी निर्देशन किया था। दूरदर्शन से प्रसारित डा निशंक के गीतों से सजे उत्तरांचल से कार्यक्रम में आपको गीत, नृत्य व अभिनय का समुचित अवसर मिला था। देश हमारा कितना प्यारा देशभक्ति पर आधारित गैर फ़िल्मी गीतों की एलबम का उन्होंने निर्देशन किया, जिसमें प्रख्यात निशानेबाज जसपाल राणा ने भी अभिनय किया है। इसका 2005 और 2006 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर दूरदर्शन पर प्रसारण हुआ था।
गढ़वाली सिनेमा को समृद्ध बनाने में योगदान
हिंदी सिनेमा व दूरदर्शन धारावाहिकों में काम करने के साथ ही बलराज नेगी ने गढ़वाली सिनेमा को समृद्ध करने में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया। उन्होंने ग्वैर छोरा,ब्वारी हो त यनी, प्यारी छुमा, घरजवैं, जिया की लाडी व सुबेरौ घाम में नायक की भूमिका निभाई है। सतमंगल्या व ब्वारी हो त यनी के सह निर्देशन के साथ ही उन्होंने नृत्य निर्देशन भी किया।
घरजवैं से बने गढ़वाली फिल्म के सुपरस्टार
1986 में प्रदर्शित बद्री केदार फिल्म्स मुंबई की घरजवैं गढ़वाली की सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जाती है। इस फिल्म ने सफलता के नए मापदंड स्थापित किए और बलराज नेगी रातों-रात गढ़वाली फिल्म के सुपरस्टार के रूप में स्थापित हो गए। उनकी तुलना हिन्दी फिल्मों के राजेश खन्ना व अमिताभ बच्चन से की जाने लगी। जिया की लाडी में वे एक पिता की प्रभावशाली भूमिका में नजर आए तो नरेश खन्ना निर्देशित सुबेरौ घाम में अधेड़ उम्र के नायक की भूमिका में बलराज नेगी खूब जमे हैं। घरजवैं ने गढ़वाल, कुमाऊं, दिल्ली, मुंबई में सिल्वर जुबली मनाकर खूब लोकप्रियता अर्जित की थी और गढ़वाली सिनेमा में स्टारडम की एक तरह से शुरुआत कर दी थी।
जौनसारी एलबम का भी निर्देशन किया
तुम्हारी माया मा, ठंडो रे ठंडो, मीनू ए, हे बबली गढ़वाली एलबम में अभिनय के साथ ही बलराज नेगी मीनू ए, हे बबली, मेरु बुढ्या को ब्यौ चा तथा विडरु, पाणी पडयारी (जौनसारी एलबम) का निर्देशन कर चुके हैं। आकाशवाणी नजीबाबाद व पौड़ी से वार्ताएं तथा दिल्ली, मुंबई, लखनऊ दूरदर्शन के लिए आपने युगल लोक नृत्य के अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। डीआरडीए टिहरी गढ़वाल के लिए विकास गीतों के ऑडियो एवं कार्यक्रम पेश करने के साथ ही जिला चमोली में स्वजल योजना के प्रचार प्रसार के लिए उन्होंने गांव गांव जाकर नुक्कड़ नाटक करवाए थे।
बलराज नेगी को कई बार किया गया सम्मानित
बलराज नेगी को रंगमंच व गढ़वाली सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है । जिनमें नागरिक परिषद देहरादून द्वारा केएन सिंह फिल्म विधा पुरस्कार- 1998 दून रत्न, दून घाटी रंगमंच देहरादून द्वारा दून कीर्ति, उत्तरांचल महोत्सव 2000 नई टिहरी द्वारा फिल्म व रंगमंच के लिए सम्मान, फिल्म एवं टेलीविजन एसोसिएशन की ओर से हीरो आफ उत्तरांचली फिल्म,पर्वतीय बिगुल (मसूरी) द्वारा देवभूमि रत्न अवॉर्ड- 2004, डा शिवानंद नौटियाल फाउंडेशन पौड़ी द्वारा शिवानंद नौटियाल रत्न अवार्ड- 2009, उत्तराखंड उत्तराखंड लोक संस्कृति सम्मान- 2009 (दिल्ली) यूफा अवार्ड- 2012 (देहरादून) श्रीदेव सुमन सम्मान- 2012 (देहरादून) देवभूमि फिल्म एवं सांस्कृतिक सम्मान- 2013, उफतारा सम्मान- 2016 (देहरादून) चेतना गौरव मंच समान -2016 (चकराता) गौरव सम्मान- 2019, गढ़वाली फिल्म एवं रंगमंच को समृद्ध करने के लिए इंडिया न्यूज़ चैनल द्वारा गौरव सम्मान- 2018, उत्तराखंड पुलिस सम्मान-2018, पर्वतीय सांस्कृतिक संस्था द्वारा उत्तराखंड फिल्म अभिनेता सम्मान, जौनसार-बावर कला एवं सं सांस्कृतिक महा संगठन द्वारा लोक संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मान के साथ ही अखिल गढ़वाल सभा देहरादून द्वारा 10 जनवरी 2020 को उत्तराखंड गौरव सम्मान -2019, आदर्श रामलीला -उत्तरकाशी के 68वें वर्ष में उन्हें दिया गया सम्मान सम्मिलित है।
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रंगमंच व सिनेमा के क्षेत्र में वर्षों सक्रिय रहे बलराज नेगी एक रंगकर्मी, फिल्म एवं टीवी कलाकार और लोक नृत्यक के रूप में उत्तराखंड का एक ऐसा नाम है जिसने अपनी पहली गढ़वाली फिल्म के नायक के रुप में सफलता का चरम व स्टारडम देखा था। आज भी अपने योगदान से वे इस क्षेत्र को समृद्ध करने में लगे हैं।