अजीत डोभाल तीसरी बार बने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार,  PM के प्रधान सचिव बने रहेंगे पीके मिश्रा

Ajit Doval NSA, PK Mishra Principal Secretary केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अजीत डोभाल और पीके मिश्रा की पुनर्नियुक्ति पर मुहर लगा दी है। पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के साथ ही अजीत डोभाल को तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया। वहीं पीएम के प्रधान सचिव में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह जिम्मेदारी पीके मिश्रा ही संभालते रहेंगे। 


Ajit Doval NSA, PK Mishra Principal Secretary: पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के साथ ही अजीत डोभाल को फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया। इसके अलावा पी.के.मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव बने रहेंगे। उनकी नियुक्ति 10 जून 2024 से प्रभावी होगी और प्रधानमंत्री के कार्यकाल या अगले आदेश तक रहेगी। मिश्रा को अपने कार्यकाल के दौरान कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त रहेगा। इसके अलावा अमित खरे और तरुण कपूर को पीएमओ में प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है।

अजीत डोभाल तीसरी बार बने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

1968 बैच के आईपीएस अधिकारी डोभाल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश की सत्ता संभालने के बाद से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। 2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने डोभाल को पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था। 2019 में उन्हें एक बार फिर से पांच साल के लिए इस पद पर नियुक्ति दी गई थी। वह पीएम मोदी के सबसे विश्वासपात्र अधिकारी माने जाते हैं। डोभाल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ है।

पीएम मोदी ने क्यों जताया भरोसा?

पिछले एक दशक में डोभाल ने मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। 2014 में, अजीत डोभाल ने इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंसी 46 भारतीय नर्सों की रिहाई सुनिश्चित की। वे एक शीर्ष-गुप्त मिशन पर गए और 25 जून, 2014 को इराक गए, ताकि जमीनी स्थिति को समझ सकें। 5 जुलाई 2014 को नर्सों को भारत वापस लाया गया। भारत की तरफ से सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और फरवरी 2019 में पाकिस्तान में सीमा पार बालाकोट हवाई हमले डोभाल की देखरेख में किए गए थे। पुलवामा का बदला, जिसे पाकिस्तान कभी नहीं भूल पाएगा, वह भी डोभाल के नेतृत्व में लिया गया। पुलवामा हमले के एक पखवाड़े के भीतर पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को खत्म करने की वायुसेना की रणनीति राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में ही तैयार हुई थी। उन्होंने डोकलाम गतिरोध को समाप्त करने में भी मदद की। इसके अलावा पूर्वोत्तर में उग्रवाद से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाए।

पंजाब से लेकर नॉर्थ ईस्ट, कंधार से लेकर कश्मीर तक…

डोभाल 1972 में इंटेलिजेंस ब्यूरो में शामिल हुए थे. अपनी 46 साल की सर्विस में उन्होंने सिर्फ 7 साल ही पुलिस की वर्दी पहनी क्योंकि डोभाल का ज्यादातर समय देश के खुफिया विभाग में बीता है, इसीलिए डोभाल का करियर भी उतना ही करिश्माई रहा है, जितना पहली नजर में वह सामान्य नजर आते हैं। अजीत डोभाल एक ऐस शख्स हैं जिन्हें देश की आंतरिक और बाहरी दोनों ही तरह की खुफिया एजेंसियों में लंबे समय तक जमीनी स्तर पर काम करने का बड़ा अनुभव है. वह इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ रह चुके हैं।

कीर्ति चक्र से सम्मानित हो चुके डोभाल

अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। उन्हें काफी तेज तर्रार अधिकारी माना जाता है। उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए उन्हें 1988 में कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया, जो आम तौर पर वीरता के लिए सशस्त्र बलों को दिया जाता है। इसके अलावा वह भारतीय पुलिस पदक पाने वाले सबसे कम उम्र के अधिकारी थे। वह विवेकानंद के गैर-सरकारी संगठन की एक शाखा विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के निदेशक रहे हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार क्या होता है?

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) का वरिष्ठ अधिकारी होता है। एनएसए की नियुक्ति कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) द्वारा की जाती है। इस समिति की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री करते हैं। यह राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और रणनीतिक मामलों पर भारत के प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं। ये भारत के प्रधानमंत्री के विवेक पर काम करते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सभी खुफिया रिपोर्ट प्राप्त करता है और उन्हें प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करता है।

ये होता है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का कार्य 

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) को भारत के आंतरिक और बाहरी खतरों और अवसरों से संबंधित सभी मामलों पर नियमित रूप से प्रधानमंत्री को सलाह देने का काम सौंपा गया है। NSA के कार्य पोर्टफोलियो में प्रधानमंत्री की ओर से रणनीतिक और संवेदनशील मुद्दों की देखरेख करना शामिल है। भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चीन के साथ प्रधानमंत्री के विशेष वार्ताकार और सुरक्षा मामलों पर पाकिस्तान और इजराइल के दूत के रूप में भी कार्य करता है। भारत सरकार ने 2019 में एनएसए अजित डोभाल को एनएसए बनाने के साथ ही कैबिनेट रैंक दिया था।

1998 में हुई थी एनएसए की स्थापना

भारत में 1998 में इस पद की स्थापना की गई थी। इसके बाद से से नियुक्त सभी एनएसए भारतीय विदेश सेवा या भारतीय पुलिस सेवा से संबंधित हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान ब्रजेश मिश्रा पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे। वे 22 मई 2004 तक इस पद पर रहे। इसके बाद मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में आईएफएस अधिकारी जेएन दीक्षित को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद 3 जनवरी 2005 से 23 जनवरी 2010 तक आईपीएस एमके नारायणन इस पद पर रहे। उनके बाद 24 जनवरी 2010 से 28 मई 2014 तक आईएफएस शिवशंकर मेनन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे। साल 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अजित डोभाल को इस पद पर नियुक्त किया गया।

पीके मिश्रा बने रहेंगे प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव

उधर प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह जिम्मेदारी पीके मिश्रा ही संभालते रहेंगे। केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अजीत डोभाल और पीके मिश्रा की पुनर्नियुक्ति पर मुहर लगा दी है। आईएएस (सेवानिवृत्त) पीके मिश्रा को 10 जून 2024 से प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। पीके मिश्रा 1972 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह पिछले 1 दशक से प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रधान सचिव के तौर पर काम कर रहे हैं। पीके मिश्रा प्रशासनिक मामले और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में नियुक्तियों का काम देखेंगे।