Amazing News: दहेज हत्या के आरोपी बंदी ने करीब 25 बार में जेल की चेकबुक से फर्जी हस्ताक्षर कर 52.85 लाख निकाले। इन रुपयों से उसने बहन की शादी की, कर्ज चुकाया और बुलेट भी खरीदी थी। जो बचा उसकी बंदरबाट कर ली।
यूपी की आजमगढ़ जेल में धोखाधड़ी का अजब-गजब मामला सामने आया है। यहां जिला कारागार के वरिष्ठ्र अधीक्षक (Senior Superintendent) के सरकारी बैंक खाते से फर्जीवाड़ा कर 17 माह में 52 लाख से भी अधिक रुपये निकाले गए हैं। इस मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी रामजीत यादव उर्फ संजय सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में जेल का वरिष्ठ सहायक और चौकीदार भी शामिल है। वहीं जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह को भी सस्पेंड कर दिया गया है।
कैसे क्या हुआ?
जांच में खुलासा हुआ है कि जेल से छूटने के बाद दहेज हत्या के आरोपी बंदी ने करीब 25 बार में जेल की चेकबुक से फर्जी हस्ताक्षर के जरिए रुपये निकाले। इन रुपयों से उसने बहन की शादी की। शादी में 25 लाख रुपये खर्च हुए। 10 लाख रुपयों से उसने कर्ज चुकाया और 3.75 लाख रुपये की बुलेट भी खरीदी थी। 52.85 लाख रुपयों से इतना खर्च करने के बाद जो बचा उसमें अन्य आरोपियों ने बंदरबाट कर ली।
जेल के सरकारी खाते से फर्जीवाड़ा कर 52 लाख से अधिक रुपये निकाले जाने के मामले में जिला कारागार के अफसरों की भी भूमिका संदिग्ध है। जेल से छूटने के बाद आरोपी चुराई गई चेकबुक पर जेल अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर 17 महीने तक रुपये निकालते रहे और जेल अफसरों को इसकी भनक तक नहीं लगी। जबकि बैंक से जेल अधीक्षक के मोबाइल पर लगातार रुपये निकाले जाने का मैसेज भी जाता रहा।
17 महीने बाद घटना की जानकारी होने पर नगर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने जांच की तो पूरा मामला खुल गया। खाते से कुल 52.85 लाख रुपये 17 महीने में निकाले गए थे। दहेज हत्या मामले में रामजीत यादव 20 मई 2024 को जेल से जमानत पर छूटा था। दूसरा बंदी शिवशंकर हत्या के आरोप में जेल में बंद था। दोनों जेल में निरुद्ध रहते हुए लेखा कार्यालय में वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद के राइटर के रूप में काम करते थे।
जेल अधीक्षक पर गिरी गाज
मुशीर अहमद और लेखा कार्यालय के चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय की मिलीभगत से दोनों ने चेकबुक चुरा ली। रामजीत के पास जेल की फर्जी मुहर थी। चेक पर वरिष्ठ जेल अधीक्षक की मुहर और फर्जी हस्ताक्षर कर वह रुपये को अपने खाते में ट्रांसफर कराता था। इस मामले में जेल अधीक्षक आदित्य कुमार को निलंबित कर दिया गया है। जेल के वरिष्ठ अधिकारियों की जांच में जेल अधीक्षक दोषी पाए गए। इसके बाद विभागीय कार्रवाई की गई है।