श्रवणी द्वादशी के अवसर पर भगवान बद्री विशाल ने बद्रीनाथ धाम से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माता मूर्ति मंदिर में अपनी मां मूर्ति देवी की गोद में बैठकर राजभोग ग्रहण किया।
रिपोर्ट-सोनू उनियाल
चमोली। पुरातन काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार श्रावणी द्वादशी से एक दिन पूर्व सोमवार को माणा घन्याल भगवान घंटाकर्ण बद्री विशाल को माता मूर्ति देवी से मिलने आने का निमंत्रण देने बद्रीनाथ पहुंचे। इसके बाद बद्रीनाथ धाम में हरषोल्लास के साथ माता मूर्ति रवानगी की तैयारी शुरू हुई।
अपनी मां मूर्ति देवी से मिले बद्री विशाल
मंगलवार को भगवान बद्री विशाल के मंदिर में भगवान की प्रातः कालीन पूजाएं संपन्न होने के बाद भगवान को बाल भोग लगा इसके बाद बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल, धर्म अधिकारी और पंडा, पुरोहितों के साथ भगवान माता मूर्ति देवी के मंदिर पहुंचे। यहां भगवान के चल विग्रह का माता मूर्ति देवी की गोद में बैठाकर अभिषेक पूजन इत्यादि संपन्न करवाया गया जिसके बाद भगवान को राजभोग लगाकर बद्रीनाथ धाम के लिए वापसी हुई।
हजारों श्रद्धालु माता मूर्ति मेले के दर्शनार्थी बने
इस दौरान ढोल दमो की थाप पर लोक नृत्य एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। भगवान बद्री विशाल की डोली के साथ माता मूर्ति पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए सेना और ग्रामीणों द्वारा रास्ते भर भंडारे की व्यवस्था की गई थी। देश विदेश के कोने-कोने से बद्रीनाथ धाम पहुंचे हजारों श्रद्धालु इस माता मूर्ति मेले के दर्शनार्थी बने।