Badrinath: भारत के प्रथम गांव माणा में 12 वर्षों बाद पुष्कर कुंभ का आगाज, जानें इसका धार्मिक महत्व

Badrinath: चमोली के सीमांत गांव माणा में स्थित केशव प्रयाग में 12 वर्षों बाद विधि विधान के साथ पुष्कर कुंभ का आयोजन शुरु हो गया है। जिसे लेकर बदरीनाथ धाम के साथ ही माणा गाँव में बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की आवाजाही बढ़ गई है।

पुष्कर कुंभ के आयोजन को लेकर जिला प्रशासन के साथ पुलिस प्रशासन की ओर से यहां तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि माणा गांव के केशव प्रयाग में आयोजित पुष्कर कुंभ को लेकर पैदल मार्ग का सुधारीकरण किया गया है। यहां पैदल मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए गए हैं। इसके साथ ही कुंभ के सुचारु संचालन के लिए जहां पैदल मार्ग पर पुलिस की तैनाती की गई है।

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वहीं संगम तट पर एसडीआरएफ के जवानों की तैनाती भी की गई है। उन्होंने बताया कि तहसील प्रशासन को पुष्कर कुंभ के आयोजन को लेकर व्यवस्थाओं को सुचारु बनाए रखने के लिए नियमित मॉनीटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं।

सीएम धामी ने किया पुष्कर कुंभ के लिए आए श्रद्धालुओं का स्वागत

वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि बद्रीनाथ धाम के पास भारत के पहले गांव माणा में 12 साल के बाद पुष्कर कुंभ शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि यह उत्सव सनातन परंपराओं की दिव्यता का जीवंत उदाहरण है।

वहीं सीएम धामी ने पुष्कर कुंभ के लिए आए श्रद्धालुओं का स्वागत भी किया। उन्होंने लिखा कि इस पावन अवसर पर पुष्कर कुंभ के लिए देवभूमि आए सभी श्रद्धालुओं का राज्य सरकार की ओर से हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है।

दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

बता दें कि, चमोली जिले के सीमांत गांव माणा में 12 वर्षों के बाद पुष्कर कुंभ का आयोजन किया जा रहा है। धार्मिक परंपरा के अनुसार जब 12 वर्षों में बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तो माणा गांव स्थित अलकनंदा और सरस्वती नदियों संगम पर स्थित केशव प्रयाग में पुष्कर कुंभ का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में मुख्य रुप से दक्षिण भारत के वैष्णव मतावलम्बी प्रतिभाग करते हैं।

पुष्कर कुंभ का धार्मिक महत्व

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माणा गांव के पास स्थित केशव प्रयाग में महर्षि वेदव्यास ने तपस्या करते हुए हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रंथ महाभारत की रचना की थी। यह भी कहा जाता है कि दक्षिण भारत के महान आचार्य रामानुजाचार्य और माध्वाचार्य ने इसी स्थान पर माँ सरस्वती से ज्ञान प्राप्त किया था। जिसके चलते अपनी पौराणिक परंपराओं के संरक्षण के लिए दक्षिण भारत के वैष्णव मतावलम्बी पुष्कर कुंभ के समय बदरीनाथ धाम के समीप स्थित माणा गांव पहुंच कर केशव प्रयाग में स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं।

जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने ली वर्चुअल गोष्ठी

वहीं पुष्कर कुंभ के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए, जिला प्रशासन भी सक्रिय हो गया है। आज जिलाधिकारी संदीप तिवारी और पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार ने प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण वर्चुअल गोष्ठी का आयोजन किया। जिसमें पुष्कर कुंभ के दौरान आने वाले सभी श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो और वे सुरक्षित एवं सुगम तरीके से स्नान और दर्शन कर सकें इसके लिए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।