चमोली जिले में भारत-चीन सीमा पर माणा पास क्षेत्र में 28 फरवरी को हुए भीषण हिमस्खलन की चपेट में आए मजदूरों को निकालने के लिए चलाया गया रेस्क्यू अभियान समाप्त हो चुका है। इस हादसे में कुल 54 मजदूर फंस गए थे, जिनमें से 46 मजदूर सुरक्षित है, जबकि 8 मजदूरों की मौत हो गई है।
रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा
रविवार को रेस्क्यू टीम ने लापता चार मजदूरों के शव बरामद किए, जबकि चार मजदूरों के शव शनिवार को बरामद हो गए थे। वहीं, रविवार को एक अन्य घायल को एम्स ऋषिकेश के लिए रेफर कर दिया गया है, जबकि एक घायल श्रमिक शनिवार को रेफर किया गया था। वहीं अन्य का आर्मी अस्पताल ज्योतिर्मठ में उपचार चल रहा है।
रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें हेलीकॉप्टर और थर्मल इमेजिंग कैमरों की मदद से जुटी रहीं। लेफ्टिनेंट कर्नल अंकित कुमार मिश्रा ने बताया कि श्रमिकों की खोज के लिए लगातार प्रयास किए गए थे।
हादसे के मृतकों के नाम:
- मोहेंदर पाल (हिमाचल प्रदेश)
- हरमेश चंद्र (हिमाचल प्रदेश)
- जितेंद्र सिंह (यूपी)
- मंजीत यादव (यूपी)
- आलोक यादव (यूपी)
- अशोक पासवान (यूपी)
- अनिल कुमार (उत्तराखंड)
- अरविंद कुमार सिंह (उत्तराखंड)
एक मजदूर पहले ही चला गया था घर
बता दें कि जिला प्रशासन की प्रारंभिक रिपोर्ट में 55 मजदूरों के फंसे होने की बात कही गई थी, लेकिन बाद में पता चला कि एक मजदूर पहले ही अपने घर लौट चुका था।
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हादसे के बाद राहत और बचाव कार्य हो गया था शुरू
माणा कैंप के पास निर्माण कार्यों में लगे मजदूर उस समय हिमस्खलन की चपेट में आ गए, जब अचानक भारी बर्फबारी के कारण ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटकर उनके अस्थायी शेल्टर पर गिर गया। हादसे के बाद राहत और बचाव कार्य तुरंत शुरू कर दिया गया था, लेकिन अत्यधिक बर्फबारी और खराब मौसम के कारण अभियान में बाधाएं आईं। राहत दलों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। रविवार को अंतिम व्यक्ति का शव मिलने के साथ ही तीन दिनों से चला रेस्क्यू अभियान भी समाप्त कर दिया गया।