Chhath Puja: उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूरा हुआ 36 घंटे का निर्जला उपवास, घाट पर उमड़ी व्रती महिलाओं की भीड़

Chhath Puja: छठ महापर्व पर उत्तराखंड में छठ की अनोखी छटा देखने को मिली। देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, चमोली से लेकर कुमाऊं में भी छठ पूर्व पूरे श्रद्धाभाव और उल्लास के साथ मनाया गया। व्रती महिलाओं ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ 36 घंटे का उपवास पूरा किया।


 

 

 

 

 

Uttarakhand: चार दिवसीय आस्था के महापर्व छठ का आज मंगलवार को उदयाचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही समापन हो गया। छठ व्रतियों ने सुबह की पहली किरणों में त्रिवेणी घाट पर दूध, जल और मौसमी फलों से सूर्य देव को नमन किया, जिसके बाद 36 घंटे से चला आ रहा निर्जला उपवास तोड़ा गया। सूर्य देव से महिलाओं ने संतान की दीर्घायु, पारिवार की सुख-समृद्धि और मंगल जीवन की कामना की। इस दौरान घाटों पर भीड़ उमड़ी रही।

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने भी पत्नी संग छठ पूजा की। उन्होंने प्रेमनगर स्थित टोंस नदी के घाट पर पहले अस्ताचलगामी और फिर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। इस अवसर पर उन्होंने सूर्यदेव एवं छठ माता से प्रदेश की समृद्धि और खुशहाली की कामना की है।

 

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए घाटों पर विशेष व्यवस्थाएं की गई थी। ऋषिकेश त्रिवेणी घाट पर व्रती महिलाओं ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया।

चमोली के कर्णप्रयाग नगर क्षेत्र के संगम तटों और आसपास के जलाशयों पर व्रतियों ने भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। सुबह और शाम के समय घाटों पर छठी मइयां के गीतों की गूंज रही। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजकर पूजा सामग्री के साथ घाटों तक पहुंचीं। कई स्थानों पर स्थानीय लोगों और प्रवासी समुदाय ने मिलकर सामूहिक पूजा का आयोजन किया।

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बता दें कि सबसे पहले व्रतियों ने घी मिश्रित चाय का सेवन किया, जो इस कठिन तप के समापन की परंपरा का प्रतीक है। छठ व्रत को अत्यंत कठिन तप माना जाता है, जिसमें शुद्धता, संयम और भक्ति का अनुपम संगम होता है। छठ व्रती 36 घंटे तक निर्जला उपवास को आज तोड़ने के साथ अन्न ग्रहण करती हैं।