देहरादून । राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) और मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राजभवन में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा बनाई गई कॉफी टेबल बुक ‘श्री केदारनाथ जी क्षेत्र में आपदा प्रबंधन पर एक और प्रयास’ का विमोचन और यूएसडीएमए के डैशबोर्ड का लोकार्पण किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य प्राकृतिक आपदाओं के दृष्टिगत एक संवेदनशील राज्य है। भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण यहां भूस्खलन, बाढ़, बादल फटना, भूकंप जैसी आपदाएं समय-समय पर आती रहती हैं। इन आपदाओं से निपटना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती रहती है। उन्होंने कहा कि 31 जुलाई 2024 को श्री केदारनाथ क्षेत्र में आई आपदा एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई थी। इस कठिन परिस्थिति में उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने सभी रेखीय विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए त्वरित राहत एवं बचाव कार्य किए।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्र से समन्वय बनाते हुए इस आपदा की घड़ी में त्वरित निर्णय लेकर राहत एवं बचाव कार्य शुरू किए, जो कि सराहनीय है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उक्त घटना का संज्ञान लेते हुए चारधाम यात्रा मार्गों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त रखने एवं यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोकने के निर्देश दिए। उनकी निगरानी में युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य किए गए। राज्यपाल ने कहा कि राहत और बचाव कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा भी भरपूर सहयोग प्रदान किया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी इस आपदा के बाद यात्रियों की सुरक्षा को लेकर इतने फिक्रमंद थे कि वे स्वयं इस रेस्क्यू अभियान की अपडेट लेते रहे।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि श्री केदारनाथ क्षेत्र में 31 जुलाई 2024 को आई आपदा के दौरान किए गए राहत एवं बचाव कार्यों के प्रयासों को दर्शाने वाली “कॉफी टेबल बुक“ का विमोचन और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा देने वाले यूएसडीएमए के डैशबोर्ड का लोकार्पण किया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष केदारनाथ क्षेत्र में आई आपदा के दौरान चारधाम यात्रा भी चल रही थी। शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जिला प्रशासन से मुख्यमंत्री रातभर प्रभावित क्षे़त्र की हर अपडेट लेते रहे। उन्होंने कहा कि यह प्राकृतिक आपदा भर नहीं थी बल्कि हमारे धैर्य, समर्पण और आपदा प्रबंधन की क्षमताओं की एक कठिन परीक्षा भी थी।15 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला गया। आपदा प्रभावित क्षेत्र में 29 स्थानों पर सड़क मार्ग ध्वस्त हो गये थे, उन सभी को जल्द प्रारंभ किया। व्यावसायिक संगठनों के लोगों से बात कर उनके सुझावों को आगे बढ़ाया। इस आपदा में हमारे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस बल, भारतीय वायु सेना के जवानों तथा जिला प्रशासन की टीमों के साथ ही स्थानीय लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया।
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री और रूद्रप्रयाग जनपद के प्रभारी मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि 31 जुलाई 2024 का दिन केदारघाटी के लिए बहुत दुखद दिन था। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा के दौरान सबसे आगे खड़े होकर लोगों के अंदर का डर दूर कर यात्रा फिर शुरु करवाने में सफलता हासिल की। केदारनाथ और सिलक्यारा आपदा प्रबंधन इसका उदाहरण है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में हर बार सरकार अपनी कार्यकुशलता से आपदा से निपटने में कामयाब रही। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री आपदा के दौरान काम करते हैं, एक कॉफी टेबल बुक तो मुख्यमंत्री पर भी बनाई जा सकती है।
यूएसडीएमए द्वारा विकसित किए गए डैशबोर्ड की विशेषताएं
इस डैशबोर्ड से उत्तराखण्ड में आपदा प्रबंधन प्रणाली को अधिक सटीक, त्वरित और पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्टिंग प्रक्रिया तथा एक्शन टेकन रिपोर्ट को डिजिटल बनाया जाएगा। आपदा की घटनाओं का त्वरित विश्लेषण करने एवं उचित निर्णय लेने में सहायता मिलेगी। आपदा संबंधी डेटा को किसी भी स्थान से ऑनलाइन एक्सेस किया जा सकेगा। सभी जिलों से डिजिटल माध्यम से सूचनाओं का संकलन होगा, आपदा प्रबंधन तंत्र को अधिक प्रभावी एवं डेटा संचालित बनाने में मदद मिलेगी। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, हेमकुंड साहिब तथा शीतकाल के दौरान पांडुकेश्वर, ऊखीमठ, मुखवा, खरसाली में प्रतिदिन आगमन कर रहे तीर्थयात्रियों एवं वाहनों की सूचनाएं नियमित अपडेट की जाएंगी। आपदाओं के कारण होने वाली जनहानि, पशुहानि तथा परिसंपत्तियों की क्षति, सड़क दुर्घटनाओं का विवरण, आगामी दस दिवस का मौसम पूर्वानुमान, उत्तराखण्ड के विभिन्न जिलों में तैनात आपदा मित्रों की जीआईएस लोकेशन के साथ फोन नंबर, सेटेलाइट फोन की सूचनाएं तथा सड़कों के बाधित होने व खुलने की जानकारी समाहित होगी।