इस वर्ष 1 नवंबर से 8 नवंबर तक नाबार्ड हस्तशिल्प मेला श्री गुरु नानक पब्लिक गर्ल्स इंटर कॉलेज, प्ले ग्राउंड, रेसकोर्स में आयोजित किया जा रहा है।
देहरादून। मेले का उद्घाटन पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखंड एवं पूर्व राज्यपाल महाराष्ट्र भगत सिंह कोश्यारी ने किया किया गया। हस्तशिल्प मेला में 80 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं। इसके अतिरिक्त मेले में कई गणमान्य नागरिक तथा पदाधिकारी भी अलग-अलग दिन प्रतिभागिता करेंगे।
मेले में सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन
बता दें कि मेले में प्रदर्शनी तथा बिक्री गतिविधियों के साथ ही सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया जाएगा, जिनमें भंवरी लोक संस्थान द्वारा राज्य के लोक नृत्य जौनसारी, गढ़वाली तथा कुमाऊँनी की प्रस्तुति की जाएगी।
प्रभावशाली हस्तक्षेप के 4 दशक पूरे
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण संस्थान निर्माण और विकासात्मक पहलों के माध्यम से प्रभावशाली हस्तक्षेप के 4 दशक पूरे कर लिए है। नाबार्ड ने कृषि वित्त, बुनियादी ढांचे के विकास, बैंकिंग प्रौद्योगिकी एसएचजी और जेएलजी, एफपीओ, ओएफपीओ और अन्य के माध्यम से माइक्रोफाइनेंस और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देकर भारतीय गांवों में जीवन बदल दिया है।
नाबार्ड द्वारा गैर कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना:
नाबार्ड की स्थापना के समय ही इसके मिशन स्टेटमेंट में गैर कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना शामिल था। वैकल्पिक आजीविका विकल्पों को प्रोत्साहित करके, कृषि आय पर ग्रामीण भारत की निर्भरता को कम करने की तत्काल आवश्यकता के संदर्भ में, यह क्षेत्र महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र के विकास से कृषि क्षेत्र में आजीविका के अवसरों की तलाश में छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों के शहरी क्षेत्रों में प्रवास (पलायन) को कम करने में भी मदद मिलती है। नाबार्ड ने गैर कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कई प्रचार योजनाएं विकसित की है। नाबार्ड आधारभूत स्तर पर आवश्यकता के अनुसार अपनी योजनाओं को बनाने, परिष्कृत और तर्कसंगत बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। उन कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया। गया है जो कोशल के विकास को सक्षम बनाते हैं, विपणन के लिए अवसरों को बढ़ावा देते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे कुटीर और ग्रामीण उद्योगों, हथकरघा, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण ‘शिल्प और सेवा क्षेत्र के उत्पादकों के समूहों को बढ़ावा देते हैं।
नाबार्ड द्वारा गैर कृषि क्षेत्र में किए जा रहे कुछ मुख्य कार्य:
1. ग्रामीण गरीबों की पारिवारिक आय में सुधार के लिए स्थायी आजीविका गतिविधियों को बढ़ावा देना, अनुदान आधारित उत्पादों का विकास और क्षमता निर्माण करना।
1. गैर कृषि क्षेत्र (ऑफ फार्म) गतिविधियों तक ऋण की पहुंच और प्रवाह में सुधार करना।
हथकरघा, हस्तशिल्प कौशल और उद्यम विकास, नवाचारों को बढ़ाने, बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर, मार्केटिंग (ग्रामीण हाट, ग्रामीण मार्ट, प्रदर्शनियां, मेले आदि), चैनल की क्षमता निर्माण में ऑफ फार्म उत्पादक संगठनों के विकास और प्रचार में सहयोग करना, ऑफ फार्म सेक्टर में सेमिनार/ कार्यशालाओं आदि के माध्यम से सूचना का प्रसार और सेक्टर विशिष्ट गतिविधियों का प्रचार-प्रसार
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मार्केटिंग
कारीगरों के लिए मार्केटिंग एक गंभीर चुनौती है। ग्रामीण गैर कृषि क्षेत्र (ऑफ फार्म सेक्टर) के लिए बाजार विकसित करना एक ऐसा क्षेत्र रहा है जहाँ नाबार्ड ने कई पहल की है। उत्पादकों को बेहतर विपणन में मदद करने के लिए नाबार्ड ग्रामीण हाट, मार्ट स्थापित करने और क्षेत्रीय, राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में कारीगरों और शिल्पकारों की भागीदारी बढ़ाने के लिए समर्थन दे रहा है। इससे कई एसएचजी एफपीओ/ ओएफपीओ/ कारीगरों को शहरी बाजारों तक पहुंचने में मदद मिली है। प्राप्त अनुभव ने उन्हें उभरते बाजार की प्राथमिकताओं के अनुरूप अपनी उ त्पाद श्रृंखला और विपणन रणनीतियों को बेहतर बनाने में मदद की है।
नाबार्ड हस्तशिल्प मेला 2023:
बेहतर विपणन अवसर प्रदान करने और विपणन गठजोड़ बनाने के उद्देश्य से, इस वर्ष नाबार्ड 1 नवंबर से 8 नवंबर 2023 तक श्री गुरु नानक पब्लिक गर्ल्स इंटर कॉलेज, प्ले ग्राउंड, रेसकोर्स देहरादून में किया जा रहा है। उत्तराखंड राज्य सहित देश के विभिन्न हिस्सों से कारीगरों द्वारा अपने राज्य के प्रमुख हस्तशिल्प उत्पादों सहित हस्तशिल्प मेले में सहभागिता की जा रही है।
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हस्तशिल्प मेला में 80 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं। मेले में विभिन्न उत्पाद जैसे कश्मीर का पश्मीना शाल हिमाचल प्रदेश का गिलोय मिश्रित अचार तथा हिमाचली
टोपी, झारखंड की जादोपटिया तथा सोहराय चित्रकारी, कर्नाटक बीड आभूषण, मध्यप्रदेश के बाग प्रिंट उत्पाद, पंजाब के फुलकारी सूट, राजस्थान के बगर हेड ब्लॉक प्रिंट (जीआई * उत्पाद), तेलंगाना के कढ़ाईगीरी उत्पाद, उत्तरप्रदेश के टेराकोटा तथा जूट उत्पाद, हरियाणा की जयपुरी रजाई तथा सुजनी आदि मुख्य आकर्षण के रूप में उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त मैले में उत्तराखंड के सभी जीआई ( GI) उत्पाद यथा तेजपात, बासमती चावल, ऐपण, दन, मुन्ययारी राजमा, रिंगाल, टमटा उत्पाद, धुलमा एवं च्यूरा से निर्मित सामग्री भी प्रदर्शित की जा रही है।