नन्दासैंण वन आन्दोलन की 36वीं वर्षगांठ एवं हरेला पर्व पर पर्यावरण गोष्ठी बड़ी ही धूमधाम से मनाई गई

नन्दासैंण,मालई (नौटी) जिला-चमोली (उत्तराखण्ड)

उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक वन आन्दोलन जो नन्दासैंण वन आन्दोलन के नाम से विख्यात है उसकी 36वीं वर्ष गांठ पर आज नन्दासैंण के ग्राम मालई में पितृदेव वन की विधिवत स्थापना हुई जिसमें बांज प्रजाति के 20 वृक्षों का रोपण गांव वासियों द्वारा किया गया 31 जुलाई तक क्षेत्र के 36 गांवों में पितृदेव वनों की स्थापना हो जायेगी। वृक्षारोपण के बाद क्षेत्रीय महिला मंगल दलों द्वारा नन्दासैंण स्टेशन से वन विश्राम भवन नन्दासैंण तक पर्यावरण जागरुकता रैली निकाली गयी।

वन विश्राम भवन में नन्दासैंण वन आन्दोलन की अध्यक्ष  अनिता भंडारी की अध्यक्षता में वन विश्राम भवन में नन्दा सैंज वन आन्दोलन चम्पादेवी, लक्ष्मी रावत, विनोद मालई, द्वारिकाप्रसाद देवली पर्यावरण गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें वनवासी मोहना सिंह भंडारी, पर्यावरण प्रेमी शिक्षक जितेज कुमार वन अधिकारी रवीन्द्र कुमार मनोज सती, प्रधान भूपेन्ड कुंवर, अर्जुनसिंह भंडारी निराला, फोरेस्टर प्रकाश नेगी आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। संस्कृति कर्मी जितेन्द्र कुमार एव भूपेद्र कुवर ने पर्यावरण लोकगीतों व पर्यावरण नारों से समारोह की शोभा बढ़ाईं।

समिति के संस्थापक सदस्य भुवन नौटियाल ने गोष्ठी में आये प्रस्तावों पर एक विस्तृत नन्दासैंण वन आन्दोलन संकल्प 2024 को प्रस्तुत किया जिसमें 36 प्रमुख बिदु थे इस संकल्प पत्र को केंद्र व राज्य सरकार को भेजा जायेगा  जिसका सभी ने समर्थन किया।

संकल्प पत्र में प्रभुखरूप से चीड़ के जंगलों को हटाने, गांव से पेयजल, चारा व जलौनी की दूरी कम करने, जल जंगल व जमीन की चौकीदार मनरेगा में शामिल करने, वन पंचायतों को महिलाओं को सौंपने जंगली जानवरों से खेती व जीवन को सुरक्षा की गारन्टी देने जंगल में फलदार वृक्षों का रोपण करने, वन वासियों को गैस कनेक्शन, सिलिडर, सौर उर्जा उपकरण निशुल्क देने नन्दासैंण में पर्यावरण संस्थान की स्थापना, मुखखलन, हिमस्खलन रोकने के प्रभावी योजना प्रारम्भ करने, देश में शौचालय की तर्ज पर प्रत्येक घर को भोजनालय योजना प्रारभ का प्रस्ताव किया गया।

प्रधानमंत्री जी का एक पेड़ मां के नाम योजना को विस्तारित करते हुये प्रत्येक गांव में अपना पितृ देव वन स्थापित करने का भी प्रस्ताव किया गया ताकि गांव के एक ही स्थान पर गांव के सभी पितृदेवों को सम्मानित स्थान मिले यह गांव का अपना संरक्षित वन होगा।

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