संस्कृति: जो घ्यूं निखालौ व्लै अगल जन्मं मां गनेल बन……प्रकृति के साथ स्वास्थ्य को समर्पित है “घी संग्रांद” -

संस्कृति: जो घ्यूं निखालौ व्लै अगल जन्मं मां गनेल बन……प्रकृति के साथ स्वास्थ्य को समर्पित है “घी संग्रांद”

Happy Ghee Sankranti 2023: उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत अपने आप में कईं ऐसे पर्वो को समेटे हुई है, जिनका यहां की संस्कृति में खास महत्व है। इन्हीं में से एक लोक पर्व घी संक्रांति भी है। कुमाऊं मंडल में इस पर्व को घी त्यार और गढ़वाल मंडल में घी संक्रांति के नाम से जानते हैं। खासतौर पर पहाड़ों में कृषि, पशुधन और पर्यावरण पर आधारित इस पर्व को धूमधाम के साथ मनाते हैं। यहीं नहीं ये पर्व प्रकृति के साथ-साथ स्वास्थ्य को भी समर्पित है।

प्रकृति व स्वास्थ्य को समर्पित पर्व

घी संक्रांति देवभूमि उत्तराखंड में सभी लोक पर्वो की तरह प्रकृति और स्वास्थ्य को समर्पित पर्व है। पूजा पाठ करके इस दिन कच्ची फसलों की कामना की जाती है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी पारंपरिक पकवान हर घर में बनाए जाते हैं। इस दिन घी का इस्तेमाल करने की वजह से ही इसे घी संक्रांति के नाम से जानते हैं।

क्या है घी संक्रांति का महत्व?

उत्तराखंड की लोक मान्यता के अनुसार इस दिन घी खाना जरूरी होता है। लोककथा के अनुसार कहा जाता है कि जो इस दिन घी नही खाता है, उसे अगले जन्म में घोंघा (गनेल)बनना पड़ता है। इसलिए लोग इस पर्व के लिए घी की व्यवस्था पहले से ही करके रखते है।

स्वास्थ्य के लिए घी खाने के फायदे

  • घी हेल्दी फैट से भरपूर होता है जिसमें मोनोअनसैचुरेटेड ओमेगा-3 की मात्रा ज्यादा होती है। ये स्वास्थ्यप्रद फैटी एसिड, हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाने में मददगार है।
  • घी ब्रेन बूस्टर भी है जो कि मानसिक सेहत को भी बेहतर बनाने में मददगार है।
  • घी का सेवन हड्डियों को हेल्दी रखने में भी मददगार है। ये हड्डियों को अंदर से मॉइस्चराइज करता है और फिर इनके बीच घर्षण को कम करता है। इससे घुटनों का दर्द कम होता है और फिर ज्वाइंट्स को आराम मिलता है।
  • घी टिशूज को अंदर से हाइड्रेट करने में भी मददगार है। ये बॉडी फंक्शन को बेहतर बनाता है और फिर स्किन के अंदर एक अलग सा ग्लो दिलाने में मददगार है।