होली पर्व यूं तो देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन उत्तराखंड के चमोली जनपद में होली पर्व अनूठे ढंग से मनाया जाता है। यहां गांव-गांव से पहुंची होल्यारों की टोली दिनभर भोलेनाथ संग होली खेलती है। लंबे समय से यहां यह परंपरा चली आ रही है।
चमोली जिले के जिला मुख्यालय में पौराणिक गोपीनाथ मंदिर हैं जो पूरे देश में भोलेनाथ के प्रसिद्ध और भव्य शिव मंदिरों में से एक है। प्रतिवर्ष गोपीनाथ मंदिर परिसर में भव्य होली का आयोजन किया जाता है। जहां आसपास के गांवों के होल्यार होली खेलने पहुंचते हैं। जिस दौरान शिव नगरी में अलग ही रंगत दिखाई देती है और होल्यार मिलकर भोलेनाथ संग होली खेलते हैं। होली के दौरान अबीर, गुलाल के रंग उड़ाए जाते हैं और ढोल की थाप और होली के गीतों पर होली खेली जाती है।
श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रचाई थी रासलीला
स्थानीय मान्यता है कि गोपीनाथ मंदिर क्षेत्र में ही श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला रचाई थी। मंदिर परिसर में प्रतिवर्ष होली पर्व अनूठे ढंग से मनाया जाता है। नगर क्षेत्र के साथ ही समीपवर्ती गांवों से होल्यारों की टोली मंदिर में पहुंचती हैं। यहां भगवान गोपीनाथ को अबीर, गुलाल अर्पित करने के बाद सभी टोलियां मंदिर परिसर में एकत्रित होती हैं। जिसके बाद यहां लाउडस्पीकर और पारंपरिक वाद्ययंत्र ढोल-दमाऊं की थाप पर होल्यार झूमकर नाचते हैं।
ब्रज की तरह गोपेश्वर में खेली जाती भगवान के संग होली
दिनभर होली के गीतों पर लोग थिरकते रहते हैं। गोपेश्वर गांव के क्रांति भट्ट का कहना है कि गोपीनाथ मंदिर की होली अनूठी है। यहां की होली भोलेनाथ को समर्पित होती है। कहा कि जिस तरह ब्रज में कान्हा के साथ होली मनाई जाती है, उसी तरह गोपेश्वर में होल्यार गोपीनाथ भगवान के संग होली खेलते हैं। यह क्षण दिव्य और भव्य होते हैं।
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युवा-युवतियों में होली का क्रेज
गोपीनाथ मंदिर परिसर में होली मनाने के लिए युवा-युवतियां अधिक संख्या में पहुंच रहे हैं। वे अपने मोहल्लों में होली खेलने के बाद मंदिर परिसर में पहुंचते हैं और यहां होली गीतों पर जमकर थिरकते हैं। इस दौरान अबीर, गुलाल भी उड़ाया जाता है। गोपीनाथ मंदिर समिति की ओर से परिसर में होली मिलन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।