पहाड़ की चलती फिरती अनोखी घोड़ा लाइब्रेरी पीएम मोदी को भी भा गई

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अपने लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात के 105वें एपिसोड का संबोधन किया। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने नैनीताल जिले के कुछ युवाओं के प्रयासों की जमकर सराहना की।


प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में नैनीताल की घोड़ा लाइब्रेरी को सराहा। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि नैनीताल जिले में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए अनोखी घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की है। इस लाइब्रेरी की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि दुर्गम से दुर्गम इलाकों में भी इसके जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुंच रही हैं और इतना ही नहीं, ये सेवा, बिल्कुल नि:शुल्क है। अब तक इसके माध्यम से नैनीताल के 12 गांवों को कवर किया गया है।  बच्चों की शिक्षा से जुड़े इस नेक काम में मदद करने के लिए स्थानीय लोग भी खूब आगे आ रहे हैं। इस घोड़ा Library के जरिए यह प्रयास किया जा रहा है, कि दूरदराज के गांवों में रहने वाले बच्चों को स्कूल की किताबों के अलावा ‘कविताएं’, ‘कहानियां’ और ‘नैतिक शिक्षा’ की किताबें भी पढ़ने का पूरा मौका मिले। ये अनोखी Library बच्चों को भी खूब भा रही है।”

क्या है घोड़ा लाइब्रेरी?

घोड़ा लाइब्रेरी नैनीताल जिले के युवाओं की एक अनूठी पहल है। हिमोत्थान व संकल्प यूथ फाउंडेशन संस्था की मदद से घोड़े की पीठ पर चलती-फिरती लाइब्रेरी यानी घोड़ा लाइब्रेरी (Horse Library) शुरू की गई है। दूरस्थ गांव में जहां सड़क, संचार नेटवर्क व पढ़ाई के संसाधनों का अभाव है, वहां घोड़ा लाइब्रेरी पहुंच रही है।  बच्चों को साहित्य और नैतिक शिक्षा से जोड़ने के लिए यह मुहिम शुरू की गई। बाघिनी गांव से घोड़ा लाइब्रेरी शुरू हुई और आज यह लोगों की मदद से घोड़े की पीठ पर पुस्तकें लेकर जलना, तोक व आलेख गांव समेत करीब 14 अन्य गांवों में बच्चों तक शिक्षा की अलख पहुंचा रही है।

घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत

हिमोत्थान के शुभम बधानी ने बताया कि दूरस्थ पर्वतीय गांवों (तल्ला जलना, मल्ला जलना, मल्ला बाघनी, सल्वा एवं बदनधुरा) में जहां ना सड़क हैं, ना जाने की अन्य कोई सुविधाएं, कुछ पगडंडी रास्ते हैं, लेकिन वो भी भूस्खलन की मार झेल रहे हैं। ऐसे में हिमोत्थान टाटा ट्रस्ट द्वारा पर्वतीय गांव बाघनी, छड़ा, सल्वा, जलना के युवाओं एवं स्थानीय शिक्षा प्रेरकों की मदद से घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की गई। प्रत्येक 4-5 दिन के अंतराल में दुर्गम पर्वतीय ग्राम तोकों में घोड़ा लाइब्रेरी के माध्यम से पुस्तकें उपलब्ध कराई गई। इस पहल में शिक्षा प्रेरक सुभाष बधानी, स्थानीय लोग हरीश बधानी, मनोज बधानी, रवि रावत, शरद बधानी, कौशल  कुमार आदि का विशेष योगदान रहा।