स्वास्थ्य विभाग के साथ “टीबी किट वितरण अभियान” का शुभारंभ
हरिद्वार, 08 अक्टूबर 2025।
भारत सरकार के 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में हरिद्वार से एक नई पहल हुई है। आईटीसी लिमिटेड ने जिला स्वास्थ्य विभाग हरिद्वार के सहयोग से 500 टीबी रोगियों को अगले छह माह तक पोषण एवं उपचार सहयोग प्रदान करने हेतु “टीबी किट वितरण अभियान” का शुभारंभ किया।
क्षय रोग : भारत की बड़ी स्वास्थ्य चुनौती
क्षय रोग (टीबी) एक संक्रामक बीमारी है, जो मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु से फैलती है और सामान्यतः फेफड़ों को प्रभावित करती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में विश्व के 27% से अधिक टीबी मरीज पाए जाते हैं।
इस चुनौती को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का राष्ट्रीय लक्ष्य तय किया है, जो वैश्विक लक्ष्य (2030) से पाँच वर्ष पहले है।
आईटीसी लिमिटेड द्वारा रोगियों को वितरित टीबी पोषण किट में प्रोटीन युक्त दालें और अनाज, ऊर्जा देने वाले पौष्टिक आहार, सूक्ष्म पोषक तत्वों से युक्त सामग्री शामिल हैं। आईटीसी लिमिटेड का मुख्य लक्ष्य क्षय रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना, उपचार अनुपालन सुनिश्चित करना तथा शीघ्र स्वास्थ्य लाभ दिलाना है।
आज आयोजित किट लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर. के. सिंह और आईटीसी लिमिटेड के महाप्रबंधक श्री अनंत माहेश्वरी की मौजूदगी में रोगियों को किट वितरित की गईं।
इस अवसर पर श्री रमेश कुमार (जिला टीबी अधिकारी), श्री रमेश तोमर (अतिरिक्त टीबी अधिकारी), श्री पमेश कुमार सहित स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी एवं सामाजिक संगठनों के सदस्य भी उपस्थित रहे।
महाप्रबंधक श्री अनंत माहेश्वरी ने कहा—
> “आईटीसी लिमिटेड सदैव समुदाय के स्वास्थ्य और पोषण सुदृढ़ीकरण के लिए कार्यरत है। सरकार के साथ साझेदारी कर सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत बनाना हमारा उद्देश्य है। यह पहल क्षय रोगियों के लिए आशा की नई किरण बनेगी और भारत सरकार के टीबी उन्मूलन लक्ष्य को साकार करने में सहायक सिद्ध होगी।”
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर. के. सिंह ने कहा
> “आईटीसी लिमिटेड का यह योगदान जनस्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह सहयोग न केवल रोगियों के पोषण एवं उपचार में मदद करेगा, बल्कि समाज में टीबी जागरूकता और बेहतर देखभाल सुनिश्चित करेगा।”
यह पहल हरिद्वार जिले के 500 रोगियों के लिए जीवनदायिनी कदम साबित होगी और समाज को यह सशक्त संदेश देगी कि टीबी एक उपचार योग्य और नियंत्रण योग्य रोग है—यदि समय पर उपचार, उचित पोषण और सामुदायिक सहयोग उपलब्ध कराया जाए