लद्दाख, जिसे देश का सबसे शांत इलाका कहा जाता था, बीते दिन अचानक हिंसा और आगजनी की चपेट में आ गया। लेह में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर झड़प हुई, पत्थरबाज़ी हुई और बीजेपी कार्यालय में आग लगा दी गई। केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने और विकास योजनाओं को लेकर हो रहे इस आंदोलन में चार लोगों की मौत और 70 से अधिक लोग घायल हो गए। खास बात यह है कि यहां की नई पीढ़ी—Gen-Z—भी बड़े पैमाने पर इस विरोध में शामिल है।
भारत के लिए क्यों अहम है लद्दाख
लद्दाख केवल अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि रणनीतिक, धार्मिक और सुरक्षा दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। यह चीन और पाकिस्तान दोनों की सीमाओं से सटा है। 2019 में केंद्र सरकार ने इसे जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाया ताकि यहां के विकास और सुरक्षा पर सीधे तौर पर फोकस किया जा सके।
लेह और करगिल का धार्मिक नक्शा
लद्दाख दो प्रमुख जिलों—लेह और करगिल—में बंटा है, और दोनों का धार्मिक स्वरूप अलग है।
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लेह जिला: 2011 की जनगणना के अनुसार कुल आबादी करीब 1.33 लाख।
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बौद्ध: लगभग 66.40%
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हिंदू: लगभग 17.14%
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मुस्लिम: लगभग 14.28%
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करगिल जिला: कुल आबादी लगभग 1.40 लाख।
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मुस्लिम: लगभग 76.87%
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बौद्ध: लगभग 14.29%
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हिंदू: करीब 7.34%
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यह साफ दिखाता है कि लेह बौद्ध बहुल और करगिल मुस्लिम बहुल इलाका है।
कुल आबादी और Gen-Z की तस्वीर
2011 की जनगणना के मुताबिक लद्दाख की कुल आबादी लगभग 2.74 लाख थी, जो अब अनुमानित तौर पर 3 लाख से ज्यादा हो चुकी होगी।
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15–24 वर्ष के युवा (Gen-Z का मुख्य हिस्सा) कुल जनसंख्या का लगभग 19–20% हैं।
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यानी हर पांच में से एक लद्दाखी युवा आने वाले समय में क्षेत्र की राजनीति और सामाजिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।
रणनीतिक दृष्टि से महत्व
ऊंचाई पर स्थित लद्दाख भारत के सबसे संवेदनशील इलाकों में गिना जाता है। यहां सेना की तैनाती, सड़क, हवाई और डिजिटल कनेक्टिविटी सब कुछ देश की सुरक्षा से जुड़ा है। चीन और पाकिस्तान की निकटता के कारण लद्दाख का हर कोना भारत की रणनीतिक मजबूती का प्रतीक है।