Ladakh tank accident: सैन्य सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हुए शहीद भूपेंद्र नेगी, उमड़ा जनसैलाब

Martyr Bhupendra Negi:  लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में टी-72 टैंक हादसे में शहीद हुए भूपेंद्र नेगी को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनकी अंतिम विदाई में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। लोगों ने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी।


पौड़ी। लद्दाख टैंक हादसे में शहीद हुए भारतीय सेना में डीएफआर उत्तराखंड के बलिदानी शहीद भूपेंद्र नेगी मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। परिजनों के अंतिम दर्शन के बाद गांव के पैतृक बोडोली घाट पर उनका अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ किया गया।

इस दौरान सेना के जवानों में उन्हें अंतिम विदाई दी। वहीं, बलिदानी की अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। साथ ही गणमान्य लोगों के साथ क्षेत्रवासियों ने भी नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान पाबौ व्यापार मंडल के आह्रवान पर पाबौ बाजार भी पूर्ण रूप से बंद रहा। व्यापारियों ने सड़क के किनारे खड़े होकर पुष्प वर्षा कर शहीद को अंतिम विदाई दी।

सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार 

पाबौ ब्लॉकों के बिशल्ड गांव में बलिदानी भूपेंद्र सिंह नेगी का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह सेना के वाहन से घर पहुंचा। इस दौरान तिरंगे में लिपटे बेटे के पार्थिव शरीर को देकर परिजन बिलख पड़े। वहीं उनकी पत्नी अशी देवी पार्थिव शरीर देख बेसुध हो गई। इस दौरान वहां पर मौजूद लोगों की आंखे भी नम हो गईं। इसके बाद जवान के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए पाबौ के बोडोली घाट पर लाया गया। जहां पर सेना के जवानों ने उन्हें सैन्य सम्मान के साथ सलामी दी। उनके पार्थिव शरीर को उनके बेटे बड़े कुनाल ने मुखाग्नि दी।

मंत्री धन सिंह रावत और कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल ने दी श्रद्धांजलि

कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी भूपेंद्र सिंह नेगी के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। कैबिनेट मंत्री ने कहा देश के लिए ये भावुक पल है लेकिन देश के लिए भूपेंद्र के बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा।

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मंत्री ने कहा की पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयास से ही देश के लिए बलिदान हुए जवानों के पार्थिव शरीर उनके गांव उनके घर लाए जाते हैं। उन्होंने कहा बलिदानी जवान के परिवार की हर संभव मदद की जाएगी। परिजनों से बात करके जो भी उनके परिजन कहेंगे उस हिसाब से उनके गांव के मार्ग या विद्यालय का नाम शहीद के नाम से रखा जाएगा।

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