महाकुंभ 2025: तीन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज लेकिन भीड़ का वर्ल्ड रिकॉर्ड क्यों नहीं बना?

महाकुंभ 2025 का भव्य आयोजन सम्पन हो गया लेकिन इसके खत्म होने के बाद प्रयागराज की फिजाओं में अब भी कुछ सुना-सुना सा महसूस हो रहा है। इस बार के महाकुंभ में 45 दिनों के दौरान 66 करोड़ 30 लाख श्रद्धालुओं ने भाग लिया, लेकिन यह ऐतिहासिक आंकड़ा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं हो सका।

तीन नए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स

हालांकि, महाकुंभ 2025 ने तीन अन्य वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के जरिए अपना नाम इतिहास में दर्ज कराया है:

  1. गंगा सफाई अभियान: दुनिया में पहली बार किसी नदी की सफाई के लिए 329 स्थानों पर एक साथ सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान चलाया गया।
  2. झाड़ू लगाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड: महाकुंभ मेले के क्षेत्र में 19,000 सफाई कर्मियों ने एक साथ झाड़ू लगाकर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया।
  3. हैंड प्रिंट पेंटिंग: मात्र 8 घंटे में 10,102 लोगों ने अपने हाथों की छाप लगाकर एक विशाल पेंटिंग तैयार की।

सबसे बड़ा वर्ल्ड रिकॉर्ड क्यों नहीं बना?

महाकुंभ में 66 करोड़ 30 लाख लोगों की भागीदारी को दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जा रहा है, लेकिन यह वर्ल्ड रिकॉर्ड नहीं बन सका। इसकी वजह यह है कि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स संस्था को पहले से इसकी सूचना नहीं दी गई थी। किसी भी रिकॉर्ड को मान्यता देने के लिए गिनीज संस्था को पहले से आवेदन भेजा जाता है, ताकि उनकी टीम आकर आयोजन की निगरानी कर सके।

सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने इतने विशाल जनसमूह की उम्मीद नहीं की थी, इसलिए पहले से आवेदन नहीं किया गया। अगर ऐसा किया गया होता, तो यह आंकड़ा दुनिया के इतिहास में दर्ज हो सकता था।

प्रयागराज की नई पहचान

महाकुंभ 2025 ने प्रयागराज को स्मार्ट सिटी के रूप में एक नई पहचान दी है। श्रद्धालुओं ने बिना किसी संकोच के इस आयोजन को अपने घर का आयोजन समझकर पूरा सहयोग दिया।

क्या यह रिकॉर्ड फिर कभी दर्ज होगा?

यह आयोजन भले ही गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं हुआ हो, लेकिन भारत के इतिहास में यह हमेशा सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के रूप में दर्ज रहेगा। भविष्य में अगर सरकार पहले से योजना बनाकर आवेदन करती है, तो यह रिकॉर्ड औपचारिक रूप से दुनिया के सामने आ सकता है।

महाकुंभ की इस ऐतिहासिक सफलता पर प्रयागराज वासियों को गर्व है, लेकिन कहीं ना कहीं एक कमी जरूर महसूस होती है कि इतना बड़ा आंकड़ा दुनिया के रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं हो सका