गांधी जी को महात्मा, बापू, राष्ट्रपिता..किसने दी थी ये उपाधि? पढिए

देशभर में 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 154वीं जयंती मनाई जा रही है। महात्मा गांधी ने अपनी पूरी जिंदगी अहिंसा को बढ़ावा दिया और लोगों से हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलने को कहा। उन्होंने जीवनभर में जो काम किए उनकी सिर्फ भारत में ही नहीं दूसरे देशों में तक में चर्चा होती है इसलिए 2 अक्टूबर को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। उनके महान विचारों ने दुनिया भर के तमाम लोगों को न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि एक नये बदलाव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का पाठ भी पढ़ाया।

महात्मा, बापू और राष्ट्रपिता दिए थे ये नाम

गांधी जी को महात्मा, बापू और राष्ट्रपिता जैसे नामों से भी पुकारा जाता है। गांधी जी को बापू नाम बिहार के चंपारण जिले के एक किसान ने दिया था। बापू ने बिहार के चंपारण में निलहा अंग्रेजों द्वारा किसानों पर किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। कवि रविंद्रनाथ टैगोर ने गांधी जी को महात्मा टाइटल दिया था और उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाने लगा। महात्मा गांधी को सबसे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रपिता कहा था। उन्होंने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो स्टेशन से अपने भाषण में गांधी जी को संबोधित करते हुए कहा था, ‘हमारे राष्ट्रपिता, भारत की आजादी की पवित्र लड़ाई में मैं आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं की कामना करता हूं.’

गांधी जी युवाअवस्था में जैन धर्म से भी थे काफी प्रभावित

गांधी जी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता दीवान थे, इसलिये उन्हें अन्य धर्मों के लोगों से मिलने का भी काफी अवसर मिला। उनके कई इसाई और मुस्लिम दोस्त थे, साथ ही गांधी जी अपनी युवा अवस्था में जैन धर्म से भी काफी प्रभावित थे। कई विश्लेषकों का मानना है कि गांधी जी ने ‘सत्याग्रह’ की अवधारणा हेतु जैन धर्म के प्रचलित सिद्धांत ‘अहिंसा’ से ही प्रेरणा ली थी।

गांधी जी एक महान शिक्षाविद थे

गांधी जी एक महान शिक्षाविद थे। उनका मानना था कि किसी देश की सामाजिक, नैतिक और आर्थिक प्रगति अंततः शिक्षा पर निर्भर करती है। उनकी राय में शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य आत्म-मूल्यांकन है। उनके अनुसार, छात्रों के लिये चरित्र निर्माण सबसे महत्त्वपूर्ण है और यह उचित शिक्षा के अभाव में संभव नहीं है।

दुनिया को सिखाया सत्याग्रह का पाठ

गांधी जी ने अपनी संपूर्ण अहिंसक कार्य पद्धति को ‘सत्याग्रह’ का नाम दिया। उनके लिये सत्याग्रह का अर्थ सभी प्रकार के अन्याय, अत्याचार और शोषण के खिलाफ शुद्ध आत्मबल का प्रयोग करने से था। गांधी जी ने आम जन को यह सिखाया कि सत्याग्रह का प्रयोग समस्या और संघर्ष के समाधान के लिए किस प्रकार किया जाता है। गांधी का सत्याग्रह राजनीतिक मुद्दों के निवारण हेतु एक प्रभावी साधन साबित हुआ।

गांधी जी के विचारों में बदल देने और प्रभावित करने की ताकत

महात्मा गांधी के विचारों में पूरे विश्व को बदल देने और प्रभावित करने की ताकत थी। उन्होंने अपने समस्त जीवन में सिद्धांतों और प्रथाओं को विकसित करने पर ज़ोर दिया और साथ ही दुनिया भर में हाशिये के समूहों और उत्पीड़ित समुदायों की आवाज़ उठाने में भी अतुलनीय योगदान दिया।

विश्व के बड़े नैतिक राजनीतिक नेताओं को किया प्रभावित

गांधी जी ने विश्व के बड़े नैतिक और राजनीतिक नेताओं ‘मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और दलाई लामा’ जैसे लोगों को प्रेरित किया।  साथ ही लैटिन अमेरिका, एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप में सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलनों को भी प्रभावित किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था, ‘भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति कभी धरती पर भी आया था।’

महात्मा गांधी के अनमोल वचन

  • आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों।
  • डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है।
  • उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा।
  • आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी।
  • व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है। वह जो सोचता है, वह बन जाता है.
  • कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है। क्षमाशीलता ताकतवर की निशानी है।
  • ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती है. यह अदम्य इच्छाशक्ति से आती है।
  • धैर्य का छोटा हिस्सा भी एक टन उपदेश से बेहतर है।
  • गौरव लक्ष्य पाने के लिए कोशिश करने में हैं, न कि लक्ष्य तक पहुंचने में।
  • आप जो करते हैं वह नगण्य होगा. लेकिन आपके लिए वह करना बहुत अहम है।
  • हम जो करते हैं और हम जो कर सकते हैं, इसके बीच का अंतर दुनिया की ज्यादातर समस्याओं के समाधान के लिए पर्याप्त होगा।
  • किसी देश की महानता और उसकी नैतिक उन्नति का अंदाजा हम वहां जानवरों के साथ होने वाले व्यवहार से लगा सकते हैं।
  • बापू ने कहा कि स्वास्थ्य ही असली संपत्ति है, न कि सोना और चांदी।