शहीद उधम सिंह की पुण्यतिथि आज, जलियांवाला बाग नरसंहार का लिया था बदला

आज महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी शहीद उधम सिंह की पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 1940 में उन्हें माइकल ओ डायर की हत्या के आरोप में पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई थी। सरदार उधम सिंह का नाम भारत की आजादी की लड़ाई में पंजाब के क्रांतिकारी के रूप में दर्ज है। आज भारत के इस सपूत को हर कोई नमन कर रहा है। जिसने जलियांवाला बाग कांड का बदला लिया और देश की मिट्टी के लिए खुद के प्राण न्यौछावर कर दिए। तो चलिए जानते है उनके बारे में…..

26 दिसंबर 1899 को हुआ था उधम सिंह का जन्म

उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब में संगरूर जिले के सुनाम गांव में हुआ था। कम उम्र में ही माता-पिता का साया उठ जाने से उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा और अनाथालय में शरण लेनी पड़ी। लेकिन 1919 में हुए जालियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने पढ़ाई जारी रखने के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने का फैसला किया और अपनी जिंदगी आजादी की जंग के नाम कर दी। उस वक्त वे मैट्रिक की परीक्षा पास कर चुके थे।

जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद ली बदले की प्रतिज्ञा

बता दें कि 1919 में देश को झकझोर देने वाली घटना घटित हुई। रॉलेर एक्ट के तहत कांग्रेस के सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को अंग्रेजों द्वारा अरेस्ट करने के बाद पंजाब के अमृतसर में हजारों की तादाद में लोग एक पार्क में जमा हुए थे। इन लोगों का उद्देश्य शांतिपूर्ण प्रदर्शन था। हालांकि जनरल रेजिनाल्ड डायर ने सेना को बेकसूरों पर गोली चलाने का आदेश दिया। इस नरसंहार में पंजाब के गर्वनर रहे माइकल ओ डायर ने भी साथ दिया था। इस नरसंहार को जलियांवाला बाग हत्याकांड का नाम दिया। उधम सिंह इसके साक्षी थे। इसके बाद उधम सिंह ने इस नरसंहार के दोषीयों से बदला लेने की प्रतिज्ञा ली थी।

शेर सिंह से बने उधम सिंह

आजादी की इस लड़ाई में वे ‘गदर’ पार्टी से जुड़े और उस वजह से बाद में उन्हें 5 साल की जेल की सजा भी हुई। जेल से निकलने के बाद उन्होंने अपना नाम बदला और पासपोर्ट बनाकर विदेश चले गए। लाहौर जेल में उनकी मुलाकात भगत सिंह से हुई। उधम सिंह भी किसी भी धर्म में विश्वास नहीं रखते थे। बता दें कि उनका असली नाम शेर सिंह था और कहा जाता है कि साल 1933 में उन्होंने पासपोर्ट बनाने के लिए ‘उधम सिंह’ नाम अपनाया।

माइकल ओ डायर पर चलाई गोली

13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हॉल में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की एक बैठक चल रही थी। जहां वो भी पहुंचे और उनके साथ एक किताब भी थी। इस किताब में पन्नों को काटकर एक बंदूक रखी हुई थी।  इस बैठक के खत्म होने पर उधम सिंह ने किताब से बंदूक निकाली और माइकल ओ डायर पर फायर कर दिया। डायर को दो गोलियां लगीं और पंजाब के इस पूर्व गवर्नर की मौके पर ही मौत हो गई।

मिली फांसी की सजा

गोली चलाने के बाद भी उन्होंने भागने की कोशिश नहीं की और गिरफ्तार कर लिए गए। ब्रिटेन में ही उन पर मुकदमा चला। 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई।

उधम सिंह की जीवनी पर 2021 में फिल्म भी बनी

इस तरह आजादी की लड़ाई में अपना योगदान देने वाले और जलियांवाला बाग कांड में बेकूसरों की हत्या का बदला उधम सिंह ने लिया और वह भारत के आजादी की लड़ाई में हमेशा के लिए अमर हो गए। बता दें कि सरदार उधम सिंह की जीवनी पर 2021 में फिल्म भी बनी थी। जिसमें विक्की कौशल मुख्य किरदार में नजर आए थे।