उत्तराखंड में वनाग्नि नियंत्रण के लिए हुई मॉक ड्रिल: CM धामी ने जंगलों में आग लगाने वाले से सख्ती से निपटने के दिए निर्देश 

उत्तराखंड में 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो रहा है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की सख्ती के बाद राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) और वन विभाग ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। जिसको लेकर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और NDMA द्वारा प्रदेश भर में वनाग्नि नियंत्रण को लेकर मॉक ड्रिल की गई। जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए।

मॉक ड्रिल में 6 जनपदों के 16 स्थान चिन्हित

संयुक्त रूप से आयोजित इस मॉक ड्रिल में 06 जनपदों के 16 स्थान चिन्हित किए गए। मॉक ड्रिल में वनाग्नि के कारण विभिन्न परिस्थितियों का किस तरह समाधान करना है,रिस्पांस टाइम कैसे कम करना है,वनाग्नि को रोकने के लिए जन सहयोग और अन्य प्रभावी तैयारियों परखा गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की मॉक ड्रिल से जरूर वनाग्नि के समय उस पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी। केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा वनाग्नि को रोकने के लिए राज्य को आधुनिक उपकरण देने पर भी मुख्यमंत्री ने आभार व्यक्त किया।

पिछले साल की घटनाओं से लिए जा रहा सबक

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य में वनाग्नि की चुनौतियों से समाधान के लिए वनाग्नि की पिछली घटनाओं में आई समस्याओं को ध्यान में रखते हुए आगे की योजनाएं बनाई जाए। वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए जन भागीदारी सुनिश्चित की जाए। सभी विभागों के साथ ही सामाजिक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, महिला मंगल दलों, युवक मंगल दलों और वन पंचायतों का भी वनाग्नि की घटनाओं को रोकने में सहयोग लिया जाए। वनों में आग लगाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाए।

सीएम धामी ने प्रमुख सचिव को दिए निर्देश

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सभी विभागों को एकजुटता से कार्य करना होगा। उन्होंने प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु को निर्देश दिए कि वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए सभी विभागों की भागीदारी सुनिश्चत करने के लिए पत्र जारी किया जाए। वनाग्नि को रोकने के लिए शीतलाखेत मॉडल के साथ ही चाल-खाल, तलैया और अन्य प्रभावी उपायों पर कार्य किए जाएं। इसके लिए जलागम विभाग का भी सहयोग लिया जाए। आधुनिक तकनीक के प्रयोग पर अधिक बल दिया जाए।

सीएम धामी ने की प्रदेशवासियों से सहयोग की अपील

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि से राज्य को अनेक चुनौतियों से जूझना पड़ता है। वन संपदा के नुकसान के साथ ही पशु हानि भी होती है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए व्यापक स्तर पर नियमित जागरूकता अभियान चलाए जाए। नवाचारों पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से भी अपील की है कि वनाग्नि की घटनाओं को रोकने में सक्रिय भागीदारी निभाए।

एप से भी मिलेगी आग की घटनाओं की जानकारी

वहीं मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा ने कहा कि वनाग्नि नियंत्रण के लिए वन विभाग ने अपनी तैयारी पूरी कर ली हैं।वनों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए जन सहभागिता पर भी जोर दिया जा रहा है।

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उन्होंने कहा कि इस साल एक एप के जरिए वन अग्नि की घटनाओं को रोकने का प्रयास किया जाएगा। जिसके लिए एक कंट्रोल रूम में तैयार किया गया है। इस एप के जरिए वनाग्नि की घटनाओं की जानकारी सभी वन प्रभागो को मिल सकेगी।