New Chief Justice of India: कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत? जो बने देश के 53वें CJI, जानें उनके बड़े फैसले भी….

New Chief Justice of India: जस्टिस सूर्यकांत को 30 अक्टूबर 2025 को CJI नियुक्त किया गया था और वो 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे। वह जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने, बिहार मतदाता सूची समीक्षा व पेगासस स्पाइवेयर केस जैसे कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं।


53rd CJI Oath Ceremony: जस्टिस सूर्यकांत आज भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बन गए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें CJI पद की शपथ दिलाई। वो CJI भूषण आर गवई की जगह लेंगे।

जस्टिस सूर्यकांत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने, बिहार मतदाता सूची समीक्षा व पेगासस स्पाइवेयर केस जैसे कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं। वह 9 फरवरी, 2027 को सेवानिवृत्त होंगे। बतौर सीजेआई उनका कार्यकाल करीब 15 माह का होगा।

पीएम मोदी भी रहे मौजूद

राष्ट्रपति भवन में आयोजित जस्टिस सूर्यकांत के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल भी मौजूद थे।

जस्टिस सूर्यकांत के अब तक के बड़े फैसले…

अनुच्छेद 370 पर फैसला

जस्टिस सूर्यकांत उस ऐतिहासिक पीठ का हिस्सा थे जिसने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखा था, जिसने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया था। यह फैसला हाल के समय के सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक फैसलों में से एक है।

राजद्रोह कानून पर रोक

जस्टिस सूर्यकांत उस पीठ में भी शामिल थे जिसने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून को प्रभावी रूप से निलंबित कर दिया था और राज्यों और केंद्र को निर्देश दिया था कि जब तक सरकार इस प्रावधान पर पुनर्विचार पूरा नहीं कर लेती, तब तक वे धारा 124ए के तहत नई एफआईआर दर्ज न करें। इस आदेश को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एक बड़े कदम के रूप में देखा गया था।

पेगासस का मामला

जस्टिस सूर्यकांत उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने पेगासस निगरानी के आरोपों की सुनवाई की थी। अदालत ने इन दावों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त की और टिप्पणी की कि राज्य को “राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर खुली छूट” नहीं दी जा सकती।

बिहार मतदाता सूची संशोधन

बिहार मतदाता सूची संशोधन एक अन्य महत्वपूर्ण आदेश में, जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग से विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान बिहार की मसौदा सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण प्रकट करने को कहा तथा चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता के महत्व पर बल दिया।

लैंगिक न्याय और स्थानीय शासन

उन्होंने एक ऐसी पीठ का नेतृत्व किया जिसने गैरकानूनी तरीके से पद से हटाई गई एक महिला सरपंच को बहाल किया और अपने फैसले में लैंगिक भेदभाव की बात कही। बाद में उन्होंने निर्देश दिया कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन सहित बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएं—जो कानूनी बिरादरी में लैंगिक समानता के लिए एक अभूतपूर्व कदम था।

राज्यपाल-राष्ट्रपति शक्तियों का संदर्भ

जस्टिस सूर्यकांत राज्य विधानों से संबंधित राज्यपालों और राष्ट्रपति की शक्तियों पर राष्ट्रपति संदर्भ की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे—यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका व्यापक राजनीतिक और संघीय निहितार्थ है। फैसले का इंतजार है।

पीएम मोदी के काफिले में सुरक्षा चूक

जस्टिस सूर्यकांत उस पीठ में भी थे जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2022 की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक की जांच के लिए न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में एक पैनल नियुक्त किया था, उन्होंने कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलों में न्यायिक जांच की आवश्यकता होती है।

वन रैंक-वन पेंशन

एक रैंक-एक पेंशन (ओआरओपी) न्यायमूर्ति कांत ने एक रैंक-एक पेंशन (ओआरओपी) योजना को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया, जबकि सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन में समानता की मांग करने वाली महिला अधिकारियों से संबंधित मामलों की सुनवाई जारी रखी।

महिलाओं के लिए जस्टिस सूर्यकांत का निर्देश

जस्टिस सूर्यकांत ने महिलाओं के लिए भी एक अहम फैसला लिया था। जिसके तहत उन्होंने निर्देश दिया था कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन सहित बार एसोसिएशनों में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएं।

पॉडकास्टर रणवीर इलाहबादिया के मामले में भी बेंच का हिस्सा थे

जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने पॉडकास्टर रणवीर इलाहबादिया को अपमानजनक टिप्पणियों के लिए चेतावनी देते हुए कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन करने का लाइसेंस नहीं है।