अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर के हालिया सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि दुनिया भर में हर पाँचवाँ वयस्क या उससे अधिक लोग उस धर्म को छोड़ रहे हैं, जिसमें वे पले-बढ़े। यह सर्वे 36 देशों के 80,000 वयस्कों पर किया गया, जिसमें ईसाई और बौद्ध धर्म को सबसे अधिक नुकसान होने की बात सामने आई। वहीं, भारत समेत कुछ देशों में 95% से ज्यादा लोग अपने मूल धर्म से जुड़े हुए हैं।
36 देशों में लगभग 80,000 लोगों के वयस्कों पर हुए सर्वेक्षण में पता चला कि ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो किसी धर्म को नहीं मानते हैं और उनका कोई धार्मिक जुड़ाव नहीं है.
सर्वेक्षणों से पता चलता है कि दुनिया भर के देशों में धार्मिक परिवर्तन की दरें काफी अलग हैं.
किन देशों में धार्मिक निष्ठा सबसे मजबूत?
भारत, इजराइल, नाइजीरिया और थाईलैंड जैसे देशों में 95% या अधिक वयस्कों ने कहा कि वे आज भी उसी धर्म से जुड़े हैं, जिसमें उनका पालन-पोषण हुआ। इसके विपरीत, दक्षिण कोरिया (50%), नीदरलैंड (36%), अमेरिका (28%) और ब्राजील (21%) जैसे देशों में लोगों के धर्म छोड़ने की दर सबसे अधिक है।
“नास्तिकता” या “धर्महीन” हो रही है पसंद
सर्वे के मुताबिक, ज्यादातर लोग धार्मिक रूप से असंबद्ध (unaffiliated) श्रेणी में आ रहे हैं, यानी वे न तो किसी धर्म को मानते हैं और न ही खुद को नास्तिक या अज्ञेयवादी (agnostic) बताते हैं। उदाहरण के लिए, स्वीडन में 29% वयस्कों ने कहा कि वे ईसाई परिवार में पले, लेकिन अब धर्महीन हैं। इसी तरह, जापान (23%) और दक्षिण कोरिया (13%) में बौद्ध धर्म छोड़ने वालों की संख्या चौंकाने वाली है।
क्या धर्म अपना रहे हैं लोग?
हालाँकि अधिकांश लोग धर्म छोड़कर “नॉन-रेलिजियस” हो रहे हैं, लेकिन कुछ देशों में विपरीत रुझान भी देखे गए। दक्षिण कोरिया में 9% वयस्क ऐसे हैं, जिनका पालन-पोषण बिना धर्म के हुआ, लेकिन अब वे ईसाई धर्म अपना चुके हैं। इसी तरह, सिंगापुर (13%) और दक्षिण अफ्रीका (12%) में भी लोग दो धर्मों के बीच स्विच कर रहे हैं।
ईसाई और बौद्ध धर्म को सबसे अधिक झटका
- ईसाई धर्म: सर्वे वाले 25 देशों में ईसाई धर्म ऐतिहासिक रूप से प्रमुख रहा, लेकिन अब इसे छोड़ने वालों की संख्या नए अनुयायियों से कहीं अधिक है।
- बौद्ध धर्म: जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे देशों में बौद्धों के धर्म छोड़ने का अनुपात 11:1 तक पहुँच गया है।
भारत का क्या है हाल?
भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहाँ 95% से अधिक वयस्क अपने जन्म के धर्म से जुड़े हुए हैं। यहाँ हिंदू और मुस्लिम समुदाय में धार्मिक निष्ठा अब भी मजबूत है, जबकि धर्म परिवर्तन की दर नगण्य है।
निष्कर्ष: धर्मनिरपेक्षता बनाम परंपरा
यह सर्वे दर्शाता है कि पश्चिमी देशों और पूर्वी एशिया में धर्मनिरपेक्षता बढ़ रही है, जबकि भारत जैसे देशों में धार्मिक पहचान अब भी सामाजिक ताने-बाने का अहम हिस्सा है