PM Modi Kumbh Snan: माघ अष्टमी पर ही पीएम मोदी ने क्यों किया महाकुंभ स्नान, जानें इस पावन तिथि का धार्मिक महत्व

महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से शुरू हो चुका है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु और संत बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं। अब तक लगभग 14 करोड़ श्रद्धालु पवित्र गंगा में डुबकी लगा चुके हैं। इस भव्य आयोजन में 5 फरवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कुंभ स्नान किया। लेकिन सवाल यह उठता है कि पीएम मोदी ने मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी जैसे प्रमुख अमृत स्नान के दिनों की बजाय 5 फरवरी को ही स्नान क्यों किया? आइए, जानते हैं इस दिन के धार्मिक महत्व को।

माघ अष्टमी का आध्यात्मिक महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 5 फरवरी को माघ मास की गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि पड़ी है। यह तिथि साधना, ध्यान और तपस्या के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माघ मास में स्नान और दान का विशेष महत्व होता है, जिससे व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

इस तिथि का चयन प्रधानमंत्री मोदी की आध्यात्मिक दृष्टि को भी दर्शाता है। यह केवल एक संयोग नहीं बल्कि एक सोच-समझकर लिया गया निर्णय प्रतीत होता है। इस दिन किए गए आध्यात्मिक कर्म कई गुना फलदायी माने जाते हैं, जिससे यह कुंभ स्नान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

भीष्माष्टमी का धार्मिक महत्व

5 फरवरी को भीष्माष्टमी भी मनाई जाती है, जो महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह की पुण्यतिथि के रूप में जानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद भीष्म पितामह ने माघ मास की अष्टमी तिथि को अपने प्राण त्यागे और मोक्ष प्राप्त किया। इसी कारण, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, पितरों को तर्पण, और दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

शास्त्रों के अनुसार, इस दिन जल, तिल, अक्षत और पुष्प अर्पित करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और व्यक्ति को मोक्ष का आशीर्वाद प्राप्त होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस दिन कुंभ स्नान करना उनकी गहरी आध्यात्मिक समझ और भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शाता है।

कुंभ स्नान का आध्यात्मिक संदेश

प्रधानमंत्री मोदी का यह कुंभ स्नान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि पूरे देश को एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संदेश देने का प्रयास है। यह भारत की धार्मिक परंपराओं और सनातन संस्कृति की महत्ता को दर्शाने वाला कदम है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 फरवरी को कुंभ स्नान करने के पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि दोनों का महत्वपूर्ण योगदान है। माघ अष्टमी और भीष्माष्टमी जैसे पावन अवसरों का यह संगम, इस स्नान को और भी विशेष बनाता है। यह निर्णय भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति उनकी गहरी आस्था और सम्मान को भी दर्शाता है।