स्कूली बच्चे जान जोखिम मे डालकर कर रहे आवाजाही

रिपोर्ट- सोनू उनियाल

जोशीमठ का पगनो गांव भूस्खलन का दंश झेल रहा है। गांव के कई परिवारों के सर से छठ उठ गई है। कई जिंदगियां संघर्षपूर्ण जीवन यापन कर रही है। यहां भूस्खलन लगभग दो वर्ष पहले शुरू हुआ था।  तभी से लोगों ने विस्थापन और पुनर्वास की मांग करना भी शुरू कर दिया था।  परंतु निराशाजनक रहा कि अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी।

अब निरंतर बढ़ते भूस्खलन के कारण विद्यालय जाने वाले बच्चों का एकमात्र रास्ता क्षतिग्रस्त है।  रास्ते पर निरंतर ऊपर से पत्थर और मालवा गिर रहा है।  जिस कारण नोनीहाल अपनी जान को जोखिम में डालकर टूटे-फूटे घरों से विद्यालय तक का सफर तय कर रहे हैं।

बच्चों से बातचीत के दौरान पता चला कि यह बच्चे दो से तीन किलोमीटर की दूरी तय कर पढ़ने के लिए विद्यालय पहुंचते हैं। पर रास्ता बहुत खतरनाक है जिस वजह से डर निरंतर बना रहता है। यह गांव का एकमात्र इंटरमीडिएट विद्यालय है।

 

जहां पढ़ने के लिए आसपास के गांव के बच्चे भी आते हैं। विद्यालय के पास आधा किलोमीटर का रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है इस रास्ते पर निरंतर पत्थर और मालवी की बरसात हो रही है। नोनिहाल का कहना है उनके पास पहले रहने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं था अब उनकी पढ़ाई भी खतरे से होकर गुजर रही है।