3 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रीस्कूल भेजना गैरकानूनी’, HC ने माता-पिता को लगाई फटकार

बच्चों को 3 साल से कम उम्र में प्रीस्कूल भेजना गैरकानूनी’

गुजरात हाईकोर्ट ने माता-पिता को लगाई फटकार

माता-पिता ने जल्दी दाखिले के लिए दायर की थी याचिका

तीन साल से पहले प्री-स्कूल में दाखिला अवैध


गुजरात उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में भारतीय माता-पिता को फटकार लगाई है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि बच्चों को तीन साल की उम्र से पहले प्रीस्कूल जाने के लिए मजबूर करना माता-पिता द्वारा किया जाना वाला गैरकानूनी कार्य है। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने माता-पिता द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए बच्चों को किंडरगार्टन में जल्दी भेजने की जिद के खिलाफ यह टिप्पणी की थी.

माता-पिता ने जल्दी दाखिले के लिए दायर की थी याचिका

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, माता-पिता अपने बच्चों के 1 जून, 2023 तक 6 साल का नहीं होने के बावजूद उन्हें कक्षा 1 में दाखिले की मांग कर रह थे, जबकि संशोधित शिक्षा के अधिकार अधिनियम और नई शिक्षा नीति के लिए जारी दिशानिर्देश के तहत बच्चों के स्कूल में दाखिले की न्यूनतम उम्र 6 वर्ष होती है. उच्च न्यायालय ने इससे जुड़ी याचिका को पिछले महीने खारिज कर दिया था, लेकिन इससे जुड़े आदेश की प्रति हाल ही में उपलब्ध कराई गई थी।

तीन साल की उम्र से पहले भेजा गया प्रीस्कूल

याचिकाकर्ता माता-पिता तर्क दे रहे थे कि चूंकि उनके बच्चों को तीन साल की उम्र से पहले प्रीस्कूल भेजा गया था, और क्योंकि उन्होंने वहां तीन साल बिताए थे, इसलिए उन्हें न्यूनतम आयु नियम में कुछ छूट दी जानी चाहिए और पहली कक्षा में प्रवेश दिया जाना चाहिए।

तीन साल से पहले प्री-स्कूल में दाखिला अवैध

पीठ ने उनके तर्क को खारिज करते हुए कहा कि, “बच्चों को तीन साल का होने से पहले प्रीस्कूल जाने के लिए मजबूर करना याचिकाकर्ता माता-पिता की ओर से एक अवैध कार्य है। अदालत ने कहा कि यह तर्क कि बच्चे स्कूल के लिए तैयार हैं क्योंकि उन्होंने प्रीस्कूल में तीन साल की प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर ली है, यह हमें बिल्कुल भी प्रभावित नहीं करता है ” अदालत ने विस्तार से बताया कि कानून तीन साल पूरे होने से पहले किसी बच्चे के प्रीस्कूल में प्रवेश पर रोक लगाता है. आरटीई नियम 2012 से लागू हैं और इस प्रावधान को 2013  में चुनौती दी गई थी जिसे उच्च न्यायालय पहले ही खारिज कर चुकी है।

आरटीई कानून 2012  के आदेश के उल्लघन के दोषी

आगे अदालत ने कहा कि जिन बच्चों के माता-पिता 1 जून, 2023 को अपने बच्चों के 6 साल पूरा होने के नियम को पूरा नहीं कर पाए हैं, उन्हें किसी तरह की कोई रियायत नहीं दी जा सकती है, क्योंकि वह आरटीई कानून 2012,  के आदेश के उल्लघन के दोषी है, यह नियम आरटीई अधिनियम 2008 के अनुरूप हैं।