इस वर्ष श्राद्ध पक्ष 7 सितंबर 2025 से प्रारंभ होकर 21 सितंबर 2025 तक चलेगा। पितृ पक्ष की यह अवधि पूर्वजों की स्मृति और तर्पण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
इस बार तिथियों के घटने-बढ़ने के कारण पंचमी और षष्ठी का श्राद्ध 12 सितंबर को एक ही दिन संपन्न होगा। विशेष बात यह है कि श्राद्ध पक्ष के पहले दिन ही चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। चूंकि यह ग्रहण रात 9:50 बजे से 1:25 बजे तक रहेगा, इसलिए इसका श्राद्ध कर्म पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, सूतक का समय अपराह्न 12:50 बजे से शुरू हो जाएगा, जिसके चलते पूर्णिमा का श्राद्ध इससे पहले ही किया जाना आवश्यक होगा।
पंडितों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक 16 दिन श्राद्ध किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दौरान यमराज की अनुमति से पितृ पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने वंशजों से तर्पण की अपेक्षा करते हैं। श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं, जबकि श्राद्ध न करने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
📅 श्राद्ध पक्ष 2025 की तिथियां
-
7 सितंबर – पूर्णिमा का श्राद्ध (अपराह्न 12:50 से पहले)
-
8 सितंबर – प्रतिपदा का श्राद्ध
-
9 सितंबर – द्वितीया का श्राद्ध
-
10 सितंबर – तृतीया का श्राद्ध
-
11 सितंबर – चतुर्थी का श्राद्ध
-
12 सितंबर – पंचमी एवं षष्ठी का श्राद्ध
-
13 सितंबर – सप्तमी का श्राद्ध
-
14 सितंबर – अष्टमी का श्राद्ध
-
15 सितंबर – नवमी / मातृ नवमी / सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध
-
16 सितंबर – दशमी का श्राद्ध
-
17 सितंबर – एकादशी / संन्यासियों का श्राद्ध
-
18 सितंबर – द्वादशी का श्राद्ध
-
19 सितंबर – त्रयोदशी का श्राद्ध
-
20 सितंबर – चतुर्दशी (अकाल मृत्यु / दुर्घटना से मृत व्यक्तियों का श्राद्ध)
-
21 सितंबर – अमावस्या (ज्ञात-अज्ञात / पितृ विसर्जन श्राद्ध)
🙏 पितृ पक्ष में श्रद्धापूर्वक तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।