डिजिटल हाउस अरेस्ट स्कैम का भण्डाफोड़: STF ने करोड़ों की ठगी के मुख्य आरोपी को जयपुर से किया गिरफ्तार

देहरादून। एसटीएफ उत्तराखण्ड की साइबर क्राईम पुलिस टीम द्वारा सम्पूर्ण भारत वर्ष में करोडों रुपये की साइबर धोखाधडी डिजिटल हाउस अरेस्ट स्कैम का भण्डाफोड़ करते हुये गिरोह के मुख्य अभियुक्त को जयपुर, राजस्थान से गिरफ्तार किया गया।

बता दें कि निरंजनपुर, देहरादून निवासी एक पीडित के साथ सवा दो करोड रुपये से अधिक की ठगी के मामले में इस गिरोह का पर्दा फाश हुआ। गिरोह द्वारा मुम्बई साइबर क्राइम पुलिस अधिकारी बनकर व्हाट्सएप पर वॉइस/वीडियो कॉल व मैसेज के माध्यम से पीडित को 09 दिन तक डिजिटल हाउस अरेस्ट रख कर 2 करोड 27 लाख 23 हजार रुपये ठगे गये थे। जिस पर एसटीएफ द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए मुख्य अभियुक्त को जयपुर से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार अभियुक्त के कब्जे से घटना में प्रयुक्त AU Small Finance बैंक खाते का एस0एम0एस0 अलर्ट सिम नं0 सहित एक मोबाइल हैण्डसेट बरामद हुआ।

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गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा धोखाधडी में प्रयुक्त किये जा रहे उक्त AU Small Finance Bank खाते के विरुद्ध अरुणाचल प्रदेश व महाराष्ट्र में भी शिकायतें दर्ज होना पायी गया हैं।

अपराध का तरीका

डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज, लोगों को उनके घरों में ही फंसाकर उनसे धोखाधड़ी करते हैं। ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं।* साइबर अपराधियों द्वारा बेखबर लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखा देकर उनकी गाढी कमाई का रुपया हडपने के लिये मुम्बई क्राईम ब्रान्च, सी0बी0आई0 ऑफिसर, नारकोटिक्स डिपार्टमेण्ट, साइबर क्राइम, IT या ED ऑफिसर के नाम से कॉल कर ऐसी गलती बताते हुये जो आपने की ही न हो जैसे आपके नाम, मोबाइल नम्बर, आधार कार्ड आदि आई0डी0 पर खोले गये बैंक खातों में हवाला, मनी लॉण्ड्रिंग आदि का पैसा जमा होने अथवा आपके नाम से भेजे गये कोरियर/पार्सल में प्रतिबंधित ड्रग्स, फर्जी दस्तावेज पासपोर्ट आदि अवैध सामग्री पाये जाना बताकर मनी लॉण्ड्रिंग, नारकोटिक्स आदि के केस में गिरफ्तार करने का भय दिखाकर व्हाट्सएप वाइस/वीडियो कॉल, स्काइप एप आदि के माध्यम से विवेचना में सहयोग के नाम पर अवैध रुप से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर उनका सारा पैसा आर0बी0आई0 से जाँच/वैरिफिकेशन कराने हेतु बताये गये खातों में ट्रांसफर करवाकर धोखाधडी को अंजाम दिया जाता है।

कभी-कभी वे झूठ बोलकर पीड़ित के रिश्तेदारों या दोस्तों को भी किसी अपराध या दुर्घटना में उनकी संलिप्तता के बारे में बताते हैं, जिससे पीड़ित घबरा जाए। इसके बाद ये जालसाज खुद को पुलिस या सरकारी अफसर बताते हुए कहते हैं कि अगर वे पैसे देंगे तो मामला बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं, जालसाज तब तक उन्हें वीडियो कॉलिंग करते रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। ये जालसाज कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। कभी-कभी तो वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तर का सेटअप बना लेते हैं और असली पुलिस की वर्दी जैसी दिखने वाली वर्दी पहन लेते हैं।