भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की ‘भारत-भारती’ ने जलाई देशभक्ति की ज्‍वाला

चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में… स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में… पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से… मानों…