चॉकलेट का इतिहास हजारों साल पुराना, दिलचस्प है इसकी खट्टी-मिट्ठी यात्रा

चॉकलेट खाना किसे पसंद नहीं है। बच्चें हो या बड़े सभी बड़े चाव से चॉकलेट खाते है। लेकिन क्या आप जानते हैं बच्चों से लेकर बड़ो तक के चेहरों पर खुशियां लाने वाली चॉकलेट का उदय कैसे हुआ? तो चलिए जानते है इसके बारे में…………..

चार हजार वर्ष पुराना इतिहास 

बता दें कि चॉकलेट का इतिहास करीब-करीब चार हजार वर्ष पुराना है। रिपोर्ट्स के अनुसार चॉकलेट का इतिहास प्राचीन मेसोअमेरिका में मिलता है। जिसे आज के समय में हम मेक्सिको के नाम से जानते हैं। इसी जगह सबसे पहले कोको के पौधे मिले थे। सबसे पहले कोको को चॉकलेट का रूप ओल्मेक्स सभ्यता के लोगों ने दिया था। ओल्मेक, लैटिन अमेरिका की सबसे शुरुआती सभ्यताओं में शुमार है। इस समुदाय के लोगों ने चॉकलेट का इस्तेमाल दवा के रूप में किया था।

किसने किया आविष्कार?

कोको के पेड़ों के फल से चॉकलेट को बनाया जाता है। ये मध्य व दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है। इसके फलों को फली कहते हैं।  जिसमें 40 कोको बीन्स पाए जाते हैं। बता दें कि कोको बीन्स बनाने के लिए बीन्स को सुखाया व भूना जाता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि ओल्मेक्स एक अनुष्ठान के लिए ड्रिंक तैयार कर रहे थे, उसी समय उन्होंने कोको का इस्तेमाल किया था।

इस रूप में भी हुआ इस्तेमाल

एज़्टेक सभ्यता के लोग 15वीं शताब्दी में कोको को मुद्रा के रूप में उपयोग करते थे। कहा जाता है कि चॉकलेट, भगवान क्वेटजल कोटल की तरफ से दिया गया एक तोहफा है। पहले चॉकलेट का स्वाद मीठा नहीं था, शुरुआत में ये एक कड़वा ड्रिंक हुआ करता था। जो बाद में मीठा हो गया। समय के साथ तेजी से ये दुनिया भर के कौने-कौने में प्रसिद्ध हो गया।

डार्क चॉकलेट स्वास्थय के लिए अच्छा

आज चॉकलेट हमारे जन्मदिन केक से लेकर मीठे पेय पदार्थों तक सभी समारोहों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। चॉकलेट ने हमारे जीवन और हमारे दिलों को पूरी तरह से भर दिया है। चॉकलेट खाना हर उम्र के लोगों को पसंद होता है। बच्चों लेकर बड़ों तक सभी चॉकलेट खाने को लेकर उत्साहित नजर आते हैं। चॉकलेट को कभी भी खाया जा सकता है और यही कारण है कि इसे हर सेलिब्रेशन में शामिल किया जाता है। डार्क चॉकलेट खाने से शरीर को फायदा भी पहुंचता है। चॉकलेट खाने से स्ट्रेस कम होता है और शरीर की थकावट भी दूर होता है।