लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी चूहों से फैलती है। यह आमतौर पर बच्चों को ही अपना निशाना बनाती है। चूहों से इंसान तक फैलने वाली यह बीमारी कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है।
उत्तरप्रदेश। वाराणसी में लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी ने दस्तक दे दी है। अब तक 10 से अधिक बच्चे इसकी चपेट में आ चुके हैं। शहर के निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। इससे पहले 2013 में मामले सामने आए थे। नवजात शिशु संघ के प्रदेश अध्यक्ष और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक राय के मुताबिक अब तक बाल लेप्टोस्पायरोसिस पीड़ित पांच बच्चों का इलाज कर चुके हैं। यह बीमारी चूहे के मूत्र के जरिये बच्चों में फैल रही है। इसमें डेंगू की तरह ही बुखार आएगा। यह शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है। पहले सामान्य बुखार होता है। लक्षण पांच से छह दिन बाद मिलते हैं। सही इलाज न मिले तो बुखार 10 से 15 दिन रहता है। इससे कभी पीलिया तो कभी हार्ट फेल होने का खतरा रहता है।
कोरोना से ज्यादा खतरनाक है बैक्टीरिया
बीएचयू के जीवविज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है। कोरोना की चपेट में आने वालों की मृत्यु दर से एक से डेढ़ फीसदी है, जबकि लेप्टोस्पायरोसिस की तीन से 10 फीसदी है।
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1980 में सबसे पहले चेन्नई में मिला था बैक्टीरिया
1980 में सबसे पहले इस बैक्टीरिया की पहचान चेन्नई में की गई थी। उत्तर प्रदेश में पहला मरीज 2004 में मिला था। 43 वर्षों में बैक्टीरिया ने अपना स्वरूप बदल लिया है। पहले जहां यह 40 से 45 आयु वर्ग को प्रभावित कर रहा था। इस बार के संक्रमण में बच्चे इसकी जद में सबसे ज्यादा है।
ऐसे फैलती है बीमारी
अधिक बारिश होने और चूहों की संख्या बढ़ने के चलते बैक्टीरिया का फैलना आसान हो जाता है। संक्रमित चूहों के मूत्र में बड़ी मात्रा में लेप्टोस्पायर्स होते हैं। खतरनाक बैक्टीरिया आंख, नाक या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। चूहे ने कहीं पेशाब किया और आपकी स्किन में कहीं कट लगा हो या घाव हो तो उसके जरिए यह भी यह शरीर में चले जाते हैं। यह बैक्टीरिया छह महीने तक पानी में जीवित रह सकता है। जुलाई से अक्तूबर के बीच बैक्टीरियल इंफेक्शन ज्यादा होता है।
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कैसे पहचानें लक्षण
तेज बुखार आना, सिरदर्द, ठंड के साथ मांसपेशियों में दर्द होना इसके कॉमन लक्षण हैं। इसके अलावा उल्टी, पीलिया और आंखें लाल हो जाना, पेट दर्द, दस्त जैसी प्रॉब्लम्स होने लगती हैं। बुखार 104 डिग्री से अधिक हो सकता है। इसके ज्यादातर लक्षण डेंगू से मिलते जुलते हैं।
कैसे बचें
- जिस तालाब में जानवर जाते हैं, वहां नहाने से बचें।
- चूहे घर में हैं तो सावधानी बरतें।
- कहीं चोट लगी हो तो उसे ठीक से ढंक कर रखें।
- बंद जूते और मोजे पहन कर रखें।
- बाहर से लाए गए प्लास्टिक के पैकेट को साफ करके इस्तेमाल करें।
- मानसून के दौरान स्विमिंग, वाटर स्कीइंग, सेलिंग से बचें।
- कोशिश करें कि बोतलबंद पानी ही पीएं ।
- घावों को धोएं और इनकी नियमित रूप से सफाई करें।
- पालतू जानवरों को टीका लगवाएं, क्योंकि जानवरों के जरिए यह संक्रमण आप तक आ सकता है।
- घर के पालतू जानवरों की साफ-सफाई पर भी जरूर ध्यान दें