बीते 40 साल लेकिन पूरी नहीं हुई तीन मांग,
40 साल से अपना हक मांग रहा डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल का गांव,
हिंदी के प्रथम डी.लिट. डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल के गांव की उपेक्षा क्यों, वंशज नाराज!
डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल की जयंती पर
उत्तराखंड भाषा संस्थान से क्यों नाराज हुए वंशज?
हिंदी के प्रथम डी.लिट. डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल की
जयंती पर भी उपेक्षा करने से नहीं चूका उत्तराखंड भाषा संस्थान
3 दिसंबर 2023 को पाली तल्ली, लैंसडौन में डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल जयंती समारोह मनाया गया। ग्रामवासियों के अनुरोध पर इसका आयोजन उत्तराखंड भाषा संस्थान, देहरादून द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि के तौर पर भाषा मंत्री सुबोध उनियाल और लैंसडौन विधायक महंत दलीप सिंह रावत मौजूद रहे।
विवाद क्या है?
डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल के परिवार के सूर्यकांत बड़थ्वाल ने उत्तराखंड भाषा संस्थान के कार्यक्रम का बहिष्कार किया। आरोप लगाया कि संस्था ने डॉ पीतांबर दत्त बड़थ्वाल के वंशजों, परिवारजनों की उपेक्षा की। बार-बार समय मांगने के बाद भी डॉ बड़थ्वाल के वंशजों को बात रखने का मौका नहीं दिया। गांव से किसी को भी मंच पर अपनी बात रखने नहीं दी गई। संस्था को वंशजों के बारे में जानकारी ही नहीं हैं। ये संस्थान की जयंती कार्यक्रम के प्रति घोर लापरवाही और सरकारी बजट को ठिकाने लगाने की कोशिश ही साबित होती है।
मांग क्या है?
सूर्यकांत बड़थ्वाल का कहना है कि 1984 से तीन मांगे भाषा संस्थान से की जाती रही। जिन्हें तथ्यों के साथ वो मंत्री/विधायक जी के सामने रखना चाहते थे।
बीते 40 साल से जो 3 मांगे की जा रही हैं। उनमें
पहली मांग– डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल की जन्मस्थली पाली तल्ली गांव में उनकी प्रतिमा स्थापित की जाए।
दूसरी मांग – डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल को समर्पित एक स्कूल का निर्माण हो।
तीसरी मांग – डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल के नाम से एक पुस्तकालय हो जिनमें उनकी लिखी किताबें हों।
जब संस्थान ने कुछ नहीं किया तो पाली तल्ली गांव में डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल के वंशजों ने एक पुस्तकालय का निर्माण भी करवा दिया है। अब इंतजार है कि उस स्थान पर संस्थान डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल की किताबें उपलब्ध करवाएं।
नई पीढ़ी की ये मांग
सूर्यकांत बड़थ्वाल कहते हैं कि नई पीढ़ी की मांग है कि डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल के नाम से स्वरोजगार के लिए लघु, कुटीर उद्योग जैसे कुछ नए अवसर पैदा किए जाएं।
मांग है कि डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल की जयंती के कार्यक्रम को जयहरीखाल डिग्री कॉलेज को सौंप दिया जाए ताकि छात्रों के बीच भी जागृति फैले और कार्यक्रम भी भव्य और व्यवस्थित हो।
मांग है कि डॉ साहब की जयंती एक दिन ना मनाकर तीन दिन के लिटरेचर फेस्टिवल के तौर पर मनाई जाए। इससे हिंदी प्रेमियों, साहित्यकारों के साथ ही युवाओं और गांव को भी फायदा होगा।
डॉ बड़थ्वाल के निवास स्थल को स्मारक केंद्र के तौर पर स्थापित किया जाए।
ये भी पढ़ें: स्वास्थ्य सचिव ने पंजीकरण न कराने वाले केंद्रों पर दिए कड़ी कार्रवाई के निर्देश