क्यों मनाया जाता विश्व बांस दिवस, जानें इसके रोचक तथ्य

World Bamboo Day 2023 :दुनियाभर में हर साल 18 सितंबर को विश्व बांस दिवस मनाया जाता है। यह खास दिन बांस से जुड़े फायदों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और रोजाना प्रयोग में आने वाले उत्पादों में इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। तो चलिए जान लेते है इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य।

विश्व बांस दिवस का इतिहास

18 सितंबर साल 2009 को विश्व बांस संगठन ने बैंकॉक में पहली पार विश्व बांस दिवस की घोषण की थी। इस दिन को मनाने के पीछे बांस को ज्यादा से ज्यादा विस्तार देना है। दुनिया भर में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां नये उद्योगों के लिए बांस की खेती को बढ़ावा दिया जाता है ताकि सामुदायिक रूप से इस ओर आर्थिक विकास किया जा सके। इसके साथ ही बांस से जुड़े पारम्परिक उद्योगों को बढ़ावा देना भी है।

बांस एक प्राचीन वनस्पति

बांस एक बहुत ही प्राचीन वनस्पति है जो जीवन के विभिन्न पहलुओं में उपयोग की जाती है। यह वनस्पति अपने तेज और सस्ते विकास के लिए प्रसिद्ध है और इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में भोजन, लकड़ी, इंस्ट्रूमेंट्स, निर्माण सामग्री, आदि के लिए किया जाता है। बांस की 50 प्रतिशत से अधिक प्रजातियां पूर्वी भारत में पाई जाती है जिनमें मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल और मिजोरम भी शामिल है।

सबसे तेजी से बढ़ने वाला पौधा

बांस का साइंटिफिक नाम बम्बूसाइडी है। पृथ्वी पर बांस सबसे तेजी से बढ़ने वाला पौधा है। बांस की कुछ प्रजातियां प्रतिदिन 1 मीटर से अधिक बढ़ सकती हैं। कोई दूसरा पौधा इतनी तेजी से नहीं बढ़ता। लकड़ी का अंतहीन स्रोत बांस इमारती लकड़ी यानी टिंबर की अर्पित करता है। बांस के जंगल बाकी पेड़ों के जंगलों की तुलना में बहुत तेजी से विकसित होते हैं।

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बांस से जुड़ी मान्यताएं

बांस को वंश वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भारत सरकार ने इसे ‘ग्रीन गोल्ड’ का भी दर्जा दे रखा है। सरकार लोगों को बांस के पौधे लगाने के लिए प्रेरित कर रही है। घरों और दफ्तरों में बांस के पौधे रखने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। ऐसी मान्यता है कि बांस के पौधे रखने से सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

बांस पेड़ है या घास

दरअसल विज्ञान के हिसाब से बांस एक पेड़ नहीं, घास है लेकिन 1927 के ‘इंडियन फॉरेस्ट एक्ट’ के अनुसार बांस को एक पेड़ माना गया था और जंगल में उगे बांस को छोड़ कर कहीं और से बांस काटना और उसे दूसरी जगह ले जाना वन विभाग की नजरों में गैर-कानूनी था। 2017 में कानून में संशोधन करके बांस को पेड़ों की श्रेणी से हटा दिया गया था जिसके बाद अब जंगल के बाहर के इलाकों में भी बांस को उगाने या काटने पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है।

बांस से जुड़ी कुछ खास बातें

  • बांस एक सदाबहार, बारहमासी पौधा है।
  • बांस 25-65 फुट तक पहुंच सकता है।
  • तने खोखले होते हैं और व्यास में 8 इंच (20 से.मी.) तक पहुंच सकते हैं।
  • पौधे 100 साल तक जीवित रह सकते हैं। वे आमतौर पर अपने जीवन के अंत में खिलते हैं, बीज पैदा करते हैं और मर जाते हैं।
  • वे 6,000 से अधिक वर्षों से मनुष्यों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
  • बांस को गरीब लोगों का टिंबर या ग्रीन गोल्ड भी कहा जाता है।
  • बांस का प्लांट प्राकृतिक रूप से कहीं भी उग सकता है|
  • बांस नॉर्थ ईस्ट इंडिया में लगभग बांस की 110 वैरायटी है।
  • बांस मृदा संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि बाढ़ के समय यह मिट्टी यानी मृदा को पकड़ के रखता है।
  • बांस का पेड़ बंजर भूमि या खराब भूमि के लिए भी सुधारक का काम करता है।