Kankhul kapiri: सावन के पहले सोमवार को गडेश्वर महादेव मंदिर में की गई नंदी बैल, शिव त्रिशूल की स्थापना 

उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। माना जाता है कि प्राचीन काल से ही यहां के कण-कण में देवी-देवताओं का वास रहा है। यही वजह है कि राज्य के सभी जिलों में अनेकों पौराणिक मंदिर हैं, जहां की मान्यताएं बेहद अनूठी हैं। 


रिपोर्ट – मनवर कंडवाल

चमोली कर्णप्रयाग ब्लॉक के ग्राम सभा कनखुल मल्ला चोपड्यूं की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है भोलेनाथ का एक मंदिर.. जिसे भोलेनाथ गडेश्वर (गॉड) महादेव के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर बहुत ही सुंदर वातावरण में स्थित पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी में है। इसकी महिमा बहुत अनंत मानी गई है।

महादेव के भक्तों द्वारा सावन महीने के पहले सोमवार को मंदिर में महादेव नंदी बैल, शिव त्रिशूल की स्थापना और भंडारे का आयोजन किया गया। महादेव के जय कारों से महादेव के कीर्तन भजनों द्वारा यह कार्यक्रम संपन्न हुआ और भोलेनाथ से पूरे क्षेत्र पर कृपा दृष्टि बनाए रखने की कामना की गई।

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इस मौके पर कनखुल तल्ला, ग्वाड़ , बिडोली और कनखुल मल्ला,चोपड्यूं के समस्त ग्रामीण मौजूद रहे।

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