Pope Francis Death: पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में वेटिकन सिटी में निधन हो गया। उन्हें बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। पीएम मोदी ने भी उनके निधन पर दुख जताया है । जानें जॉर्ज मारियो कैसे बन गये पोप फ्रांसिस…
वेटिकन सिटी। ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है। उन्होंने वेटिकन सिटी में आखिरी सांस ली। पोप फ्रांसिस इतिहास के पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे। उनके निधन के साथ ही कैथोलिक चर्च के लिए एक युग का अंत हो गया है।
Pope Francis died on Easter Monday, April 21, 2025, at the age of 88 at his residence in the Vatican’s Casa Santa Marta. pic.twitter.com/jUIkbplVi2
— Vatican News (@VaticanNews) April 21, 2025
बता दें कि पोप 88 वर्ष के थे और वो कई बीमारियों से जूझ रहे थे। हाल ही में कई दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद वो ठीक होकर वापस घर लौटे थे। उनके निधन से पूरी दुनिया के करीब 1.4 अरब कैथोलिक लोग गहरे शोक में हैं। वे न सिर्फ धार्मिक नेता थे, बल्कि पूरी दुनिया में शांति, भाईचारे और समानता के पक्षधर माने जाते थे।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति से आखिरी मुलाकात
मौत से एक दिन पहले ही अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उनसे मुलाकात की थी। उस समय भी उनकी तबीयत कमजोर थी लेकिन उन्होंने मुलाकात को पूरा किया।
कौन है पोप फ्रांसिस ?
पोप का जन्म 17 दिसम्बर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। उनके माता पिता मारियो और रेजिना सिवोरी थे, जो इटली में प्रवासी थे और रेलवे में एकाउंटेंट के रूप में काम करते थे। वो पांच भाई बहन थे। उन्होंने ब्यूनस आयर्स यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की थी। उसके बाद उन्होंने पादरी बनने का फैसला किया था।
जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो से बने पोप
पोप बनने से पहले उन्हें जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो नाम से जाना जाता था। पोप फ्रांसिस के दादा-दादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से बचने के लिए इटली छोड़कर अर्जेंटीना चले गए थे। पोप ने अपना ज्यादातर जीवन अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में बिताया है।
- 11 मार्च 1958 को वह सोसाइटी ऑफ जीसस के नवप्रवर्तनक दल में शामिल हो गये।
- 1969 में जेसुइट ऑर्डर में पुजारी नियुक्त किया गया था।
- 1973-79 तक वे अर्जेंटीना में शीर्ष नेता थे।
- 1992 में ब्यूनस आयर्स के सहायक बिशप और 1998 में शहर के आर्कबिशप बने।
पोप बनने वाले पहले गैर-यूरोपीय
पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के एक जेसुइट पादरी थे, वो 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे। उन्हें पोप बेनेडिक्ट सोलहवें का उत्तराधिकारी चुना गया था। पोप फ्रांसिस बीते 1000 साल में पहले ऐसे इंसान थे जो गैर-यूरोपीय होते हुए भी कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च पद पर पहुंचे।
ये भी पढ़ें 👉:Trump Tariffs: भारत की ‘डिप्लोमैटिक जीत’, चीन पर टूटा 125% टैक्स का कहर!
उन्होंने पोप के कई पारंपरिक दिखावे को त्याग दिया था। उन्होंने अपोस्टोलिक पैलेस में भव्य पोप अपार्टमेंट के बजाय आधुनिक वेटिकन गेस्ट हाउस में रहना पसंद किया। पोप फ्रांसिस ने इटली के बाहर 47 यात्राएं कीं। 65 से अधिक राज्यों और क्षेत्रों का दौरा किया है।
Deeply pained by the passing of His Holiness Pope Francis. In this hour of grief and remembrance, my heartfelt condolences to the global Catholic community. Pope Francis will always be remembered as a beacon of compassion, humility and spiritual courage by millions across the… pic.twitter.com/QKod5yTXrB
— Narendra Modi (@narendramodi) April 21, 2025
पीएम मोदी ने जताया दुख
वहीं पीएम मोदी ने भी पोप के निधन पर दुख जताया है। उन्होंनें X पर लिखा, “पोप फ्रांसिस के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। दुख की इस घड़ी में दुनिया के कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं।”
पीएम ने कहा कि पोप फ्रांसिस को हमेशा दुनिया भर के लाखों लोगों द्वारा करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद किया जाएगा। छोटी उम्र से ही, उन्होंने प्रभु मसीह के आदर्शों को साकार करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने गरीबों और वंचितों की लगन से सेवा की। जो लोग पीड़ित थे, उनके लिए उन्होंने आशा की भावना जगाई। मैं उनके साथ अपनी मुलाकातों को याद करता हूं और समावेशी और सर्वांगीण विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से बहुत प्रेरित हुआ। भारत के लोगों के प्रति उनका स्नेह हमेशा संजोया जाएगा। उनकी आत्मा को ईश्वर की गोद में शांति मिले।”
पीएम मोदी की पोप फ्रांसिस से 2 बार मुलाकात
बता दें कि 2021 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूरोप दौरे पर थे, तब उन्होंने वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस से मुलाकात की। पोप फ्रांसिस से मोदी की यह पहली मुलाकात थी। पीएम मोदी ने पोप फ्रांसिस को भारत आने का न्योता भी दिया था। इसके बाद मोदी ने दूसरी बार G-7 समिट में 2024 में मुलाकात की थी।