उत्तरकाशी टनल हादसे में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। इसी बीच, बचाव टीम को 9 दिन में पहली सफलता मिली है। सुरंग में मजदूरों तक छह इंच का पाइप पहुंच गया है। अब इसके जरिए मजदूरों तक बड़ी मात्रा में खाना पहुंचाने में आसानी होगी। वहीं डीआरडीओ ने 20 किलो और 50 किलो वजनी 2 रोबोट भेजे हैं।
Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue update: उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे मजदूरों को अब संतुलित आहार मिल सकेगा। प्रशासन को इस मामले में बड़ी सफलता हाथ लगी है। प्रशासन ने सुरंग के भीतर तक 6 इंच चौड़ा पाइप भेज दिया है। इसकी कुल लंबाई 57 मीटर है। दरसअल, ये पाइप पत्थर के आरपार न जा पाने की वजह से अटका हुआ था। अब यह पाइप आरपार हो गया है।
सुरंग में आर-पार हुआ 6 इंच का पाइप
एनएचआईडीसीएल के निदेशक, अंशू मनीष खलखो ने बताया कि हमने अपनी पहली सफलता हासिल कर ली है, जिसके लिए हम पिछले नौ दिनों से प्रयास कर रहे थे और यह हमारी पहली प्राथमिकता थी। हमने 6 इंच का पाइप लगाया गया है और इसके जरिए हम फंसे हुए मजदूरों की आवाज भी सुन सकते हैं। उन्होंने बताया कि अब हम उन्हें उस पाइप के जरिए ही प्रॉपर खाना और चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करेंगे।
अब मजदूरों को मिलेगा प्रॉपर खाना
बता दें कि अबतक सुरंग में फंसे इन मजदूरों को प्रॉपर खाना तक भेज पाने में असमर्थ थे। लेकिन अब प्रशासन ने ये 6 इंच का पाइप अंदर भेजकर सफलता हासिल की है। इसके जरिए अब मजदूरों को प्रॉपर खाना भेजा जा सकेगा।
अब तक था सिर्फ 4 इंच का पाइप
अब तक इन मजदूरों को मल्टीविटामिन, अवसादरोधी दवाओं के साथ साथ सूखे मेवे और मुरमुरे भेजे जा रहे थे। ताकि ये मजदूर टनल में सुरक्षित बने रहें। मजदूरों को ये सब एक चार इंच के पाइप के द्वारा भेजा जा रहा था।
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मजदूरों को आज खाने में क्या भेजा गया?
ये सफलता मिलने के बाद अब मजदूरों की जरूरत के अनुसार खाना बनाया जा रहा है। अब इस पाइप के जरिए प्लास्टिक की बोतलों में खाना भेजा जाएगा। इसमें आलू के टुकड़े, दलिया और खिचड़ी भेजी जाएगी। डॉक्टर की सलाह लेकर इन मजदूरों के स्वास्थय का ख्याल रखते हुए उन्हें खाना भेजा जा रहा है।
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दो रोबोट पहुंचे सिलक्यारा
वहीं, मजदूरों के रेस्क्यू मिशन पर उन्होंने बताया कि डीआरडीओ ने 20 किलो और 50 किलो वजनी 2 रोबोट भेजे हैं। ये रोबोट जमीन पर चलते हैं और यहां जमीन रेत की तरह काम कर रही है, लेकिन हमें आशंका है कि रोबोट वहां चल पाएंगे या नहीं..’ उन्होंने कहा कि रोबोट्स को लेकर अभियान में मदद मिलेगी या नहीं; फिर भी हम कोशिश करेंगे।