Chamoli जनपद के पांच वन प्रभागों में आग की 82 घटनाएं आई सामने, वन संपदा को इतना पहुंचा नुकसान

जिले के अंतर्गत पांच वन प्रभागों में इस वर्ष वनाग्नि की 82 घटनाओं में 85.25 हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो गए और 2 लाख 51 हजार रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है । 


उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल देश और दुनिया मे अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के नाम से जाने जाते है , लेकिन हर साल हो रही वनाग्नि की घटनाओं से यहां की सुंदरता धीरे धीरे कम होती जा रही है। गर्मियों के सीजन शुरू होते ही यहां के जंगल आग से धधकने लगते है । जिसके सामने वन विभाग की तैयारियो भी नकाफी साबित होती है ।वहीं चमोली जनपद में पांच वन प्रभागों में इस फायर सीजन के अंतर्गत वनाग्नि की 82 घटनाएं सामने आई है। जिसमें 85.25 वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।

जनपद में वनाग्नि की 82 घटनाएं, 2 लाख 51 हजार रुपये का आर्थिक नुकसान 

बद्रीनाथ वन प्रभाग के डीएफओ सर्वेश कुमार दुबे ने जानकारी देते हुए बताया कि वनाग्नि को रोकने के लिए जनपद में 106 क्रू स्टेशन बनाये गए है । 306 रेगुलर स्टाफ और 286 फायर वाचरो की तैनाती और 52 छोटे बड़े वाहनो की व्यवस्था की गई है । डीएफओ बद्रीनाथ ने बताया कि आग की सूचना पर हमारे कर्मचारियों द्वारा तुरंत मौके के लिए रवाना किया जाता है । उन्होंने बताया कि इस साल 2 लाख 51 हजार रुपये का आर्थिक नुकसान वनाग्नि से हुआ है ।

दरअसल, उत्तराखण्ड के जंगलों में शुष्क मौसम, मानवीय गतिविधियों, बिजली गिरने और जलवायु परिवर्तन के कारण बार-बार आग लगने की समस्या देखी जाती है। सरकार और प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद इस समस्या का अब तक कोई ठोस निदान नहीं मिला है।

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28 अप्रैल को नासा के जरिए सामने आई सैटेलाइट तस्वीरों में उत्तराखंड में लगी जंगल की आग की भयावता दिखाई दे रही है। अगर मार्च अप्रैल 2023 और 2024 में उत्तराखंड में जंगलों में लगी आग के बीच तुलना करें तो 2024 में स्थिति ज्यादा गंभीर हो गई है।