कैंसर की दवाएं होंगी सस्ती, हर जिले में बनेगा डे-केयर सेंटर, जानें हेल्थ सेक्टर को और क्या-क्या मिला?

UNION BUDGET 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में 2025-26 का बजट पेश किया। इस बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कई बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई है। सरकार ने कैंसर समेत गंभीर बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली 36 दवाओं पर कस्‍टम ड्यूटी को पूरी तरह से खत्‍म कर दिया है। ऐसे में अब इन दवाओं के दाम कम हो जाएंगे।

बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि अब कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों को 36 जीवनरक्षक दवाएं बिना टैक्स के मिलेंगी। इसके अलावा, वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार अगले 3 सालों में सभी जिला अस्पतालों में ‘डेकेयर’ कैंसर केंद्रों की स्थापना की सुविधा मुहैया कराएगी।

पहले जानें डे केयर क्या है?

दरअसल, डे केयर सेंटर एक कीमोथेरेपी इन्फ्यूजन सुविधा है. जिसे निजी लाउंज या सामान्य क्षेत्र में परोसा जा सकता है. यह रोगियों और उनके परिवारों को कैंसर से संबंधित चुनौतियों से निपटने में सहायता के लिए परामर्श और अन्य सहायता भी प्रदान करेगा। इस पहल से यह सुनिश्चित होगा कि कैंसर के मरीजोंं खास तौर पर ग्रामीण इलाकों के लोगों को लंबी दूरी तय किए बिना किफायती और समय पर इलाज मिल सके।

जीवनरक्षक दवाएं और औषधियां

बजट में 36 जीवन रक्षक दवाओं और औषधियों को सीमा शुल्क से छूट दी गई है, जबकि 6 दवाओं को 5 फीसदी शुल्क वाली श्रेणी में रखा गया है। इसके अलावा, 36 और दवाओं और 13 नए रोगी सहायता कार्यक्रमों को बेसिक कस्टम ड्यूटी से पूरी तरह छूट दी जाएगी, जहां उन्हें रोगियों को मुफ्त आपूर्ति की जाती है।

मेडिकल सीटें बढ़ाने की घोषणा

मेडिकल पेशेवरों की कमी को दूर करने के लिए, सरकार ने आने वाले साल में 10,000 मेडिकल सीटें बढ़ाने की घोषणा की है, जिसका लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 75,000 सीटें बढ़ाना है। खासकर ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में इस कदम से डॉक्टरों और विशेषज्ञों की उपलब्धता में अभूतपूर्व वृद्धि होने की उम्मीद है।

संशोधित पीएम स्वनिधि योजना

स्ट्रीट वेंडर्स को वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली पीएम स्वनिधि योजना को और ज्यादा बेहतर बनाया जाएगा, जिसमें बेहतर लोन, यूपीआई-लिंक्ड क्रेडिट कार्ड और क्षमता निर्माण सहायता शामिल है। इससे न केवल स्ट्रीट वेंडर्स की आजीविका में सुधार होगा, बल्कि उनके और उनके परिवारों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच भी सुनिश्चित होगी।

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ऑनलाइन प्लेटफॉर्म श्रमिकों का कल्याण

बढ़ती गिग इकॉनमी को देखते हुए, बजट में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सहायता देने के उपाय पेश किए गए हैं। ये वर्कर्स अब ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण और पीएम जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य सेवा कवरेज के लिए पात्र होंगे। इस कदम का उद्देश्य देश भर में लाखों गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना है।

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बिहार में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी

फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने और पोषण में सुधार के लिए सरकार ने बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना की घोषणा की है। इस पहल से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि युवाओं के लिए कौशल, उद्यमिता और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार के लिए बजट में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी का प्रस्ताव किया गया है। इससे ग्रामीण आबादी के लिए टेलीमेडिसिन सेवाएं, बेहतर डेटा प्रबंधन और विशेषज्ञ परामर्श तक बेहतर पहुंच संभव होगी।

एडवांस हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर

सरकार ने स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए धन आवंटित किया है, जिसमें नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और मौजूदा सुविधाओं का विस्तार शामिल है। खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में इससे स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में कमी को पाटने में मदद मिलेगी।

स्वास्थ्य सेवा में टेक्नोलॉजी का इंटीग्रेशन

बजट में स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया गया है। ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों के लिए ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी और शिक्षा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना (स्वास्थ्य सेवा अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ) जैसी पहल इस क्षेत्र में नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देगी।