भू वैज्ञानिक का कहना है कि अभी तक 50 मीटर से अधिक की कोर ड्रिलिंग हो चुकी है,लेकिन अभी भी पक्की चट्टान नहीं मिली है।
रिपोर्ट -सोनू उनियाल
Chamoli। जोशीमठ में दरार भू स्खलन और आपदा के बाद एक बार फिर से वैज्ञानिकों द्वारा सर्वे शुरू हो गया है। यूरोपीय देश नीदरलैंड की फुगरो कंपनी यहां धंसाव प्रभावित जोशीमठ शहर के 6 जगहों पर भू सर्वे का काम कर रही है। कंपनी के द्वारा प्रभवित छेत्र में ड्रिलिंग का काम युद्ध स्तर पर जारी है जिससे जोशीमठ के नीचे की पक्की चट्टान का गहन अध्ययन किया जा सके।
देश विदेश की कई नामी गिरामी वैज्ञानिक संस्थाओं ने जोशीमठ की केयरिंग Infinity/ भार क्षमता को लेकर भू गर्भीय अध्ययन किया है। ऐसे में फुगरों कंपनी के द्वारा अंतिम बार किया जा रहा भूगर्भीय सर्वेक्षण पर ही अब सबकी निगाहें टिकी हुई है। उसके पूरे सर्वे के बाद ही जोशीमठ के भार क्षमता की पूरी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
वहीं सर्वे साईट पर मौजूद कार्यदाई संस्था के भू वैज्ञानिक अभिषेक भारद्वाज का कहना है कि अभी तक 50 मीटर से अधिक की कोर ड्रिलिंग हो चुकी है,लेकिन अभी भी पक्की चट्टान नहीं मिली है।
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सैंपल इकट्ठा कर अध्ययन के लिए मुंबई लैब में भेजे जा रहे है। बताया कि इस ड्रीलिंग के दौरान जमीन के अंदर एक ट्यूब डाली जाती है ।
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उन्होंने बताया कि आगे 80 मीटर तक ड्रिलिंग करके पक्की चट्टान को ढूंढने की कोशिश की जाएगी।इस काम में दो से तीन महीने लग सकते हैं और उसके बाद रिपोर्ट सार्वजनिक हो सकती है।
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