क्या है UCC कानून में? जिसके लागू होने पर उत्तराखंड में बदल जाएंगे ये नियम

Uniform Civil Code: उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा। बता दें कि गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनो से ही यूसीसी लागू है। यहां जानें ड्राफ्ट रिपोर्ट की बड़ी बातें…


उत्तराखंड में रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित समिति ने UCC की ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की है। इस ड्राफ्ट में एक ऐसे कानून को बनाने की बात है जो शादी, तलाक, संपत्ति, जाति से संबंधित मामलों में सभी धर्मों पर एक समान लागू होगा। बता दें कि मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी गयी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्ति न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था।

ये हैं UCC के प्रावधान

1- लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी, जिससे वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें।

2- विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।

3- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।

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4- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी। एक पति पत्नी का नियम सब पर लागू होगा।

5- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक है।

6- नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।

7- मेंटेनेंस: अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।

8- एडॉप्शन: सभी को मिलेगा गोद लेने का अधिकार। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।

9- हलाला और इद्दत पर रोक होगी।

10- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट लग सकती है।

11- गार्जियनशिप– बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।

12- पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।

13- जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है।

14- प्रदेश की जनजातियां इस कानून से बाहर होंगी ।